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वाच्य (Voice)

 

वाच्य (Voice)

क्रिया के उस परिवर्तन को वाच्य कहते हैंजिसके द्वारा इस बात का बोध होता है कि वाक्य के अन्तर्गत कर्ताकर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है। 

इनमें किसी के अनुसार क्रिया के पुरुषवचन आदि आए हैं।

इस परिभाषा के अनुसार वाक्य में क्रिया के लिंगवचन चाहे तो कर्ता के अनुसार होंगे अथवा कर्म के अनुसार अथवा भाव के अनुसार।

वाच्य के प्रयोग

वाक्य में क्रिया के लिंगवचन तथा पुरुष का अध्ययन 'प्रयोगकहलाता है। 

ऐसा देखा जाता है कि वाक्य की क्रिया का लिंगवचन एवं पुरुष कभी कर्ता के लिंगवचन और पुरुष के अनुसार होता हैतो कभी कर्म के लिंग-वचन-पुरुष के अनुसारलेकिन कभी-कभी वाक्य की क्रिया कर्ता तथा कर्म के अनुसार  होकर एकवचनपुंलिंग तथा अन्यपुरुष होती हैये ही प्रयोग है।

प्रयोग के प्रकार

'प्रयोगतीन प्रकार के होते हैं-  (कर्तरि प्रयोग  (कर्मणि प्रयोग  (भावे प्रयोग

(कर्तरि प्रयोग - जब वाक्य की क्रिया के लिंगवचन और पुरुष कर्ता के लिंगवचन और पुरुष के अनुसार हों तब कर्तरि प्रयोग होता है;  जैसेमोहन अच्छी पुस्तकें पढता है।

(कर्मणि प्रयोग - जब वाक्य की क्रिया के लिंगवचन और पुरुष कर्म के लिंगवचन और पुरुष के अनुसार हों तब कर्मणि प्रयोग होता हैजैसेसीता ने पत्र लिखा।

(भावे प्रयोग जब वाक्य की क्रिया के लिंगवचन और पुरुष कर्ता अथवा कर्म के लिंगवचन और पुरुष के अनुसार  होकर एकवचनपुंलिंग तथा अन्य पुरुष हों तब भावे प्रयोग होता है;   जैसेमुझसे चला नहीं जाता। सीता से रोया नहीं जाता।

वाच्य के भेद

उपर्युक्त प्रयोगों के अनुसार वाच्य के तीन भेद हैं-

(1) कर्तृवाच्य (Active Voice)  (2) कर्मवाच्य(Passive Voice) (3) भाववाच्य(Impersonal Voice)

(1) कर्तृवाच्य (Active Voice) - क्रिया के उस रूपान्तर को कर्तृवाच्य कहते हैंजिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध हो।

जैसेराम पुरतक पढ़ता हैमैंने पुस्तक पढ़ी।

(2) कर्मवाच्य(Passive Voice) - क्रिया के उस रूपान्तर को कर्मवाच्य कहते हैंजिससे वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध हो। जैसेपुस्तक पढ़ी जाती हैआम खाया जाता है।

यहाँ क्रियाएँ कर्ता के अनुसार रूपान्तररित  होकर कर्म के अनुसार परिवर्तित हुई हैं। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि अँगरेजी की तरह हिन्दी में कर्ता के रहते हुए कर्मवाच्य का प्रयोग नहीं होताजैसे- 'मैं दूध पीता हूँके स्थान पर 'मुझसे दूध पीया जाता हैलिखना गलत होगा। हाँनिषेध के अर्थ में यह लिखा जा सकता हैमुझसे पत्र लिखा नहीं जाताउससे पढ़ा नहीं जाता।

(3) भाववाच्य (Impersonal Voice) - क्रिया के उस रूपान्तर को भाववाच्य कहते हैंजिससे वाक्य में क्रिया अथवा भाव की प्रधानता का बोध हो।

जैसेमोहन से टहला भी नहीं जाता। मुझसे उठा नहीं जाता। धूप में चला नहीं जाता।

टिप्पणी यहाँ यह स्पष्ट है कि कर्तृवाच्य में क्रिया सकर्मक और अकर्मक दोनों हो सकती हैकिन्तु कर्मवाच्य में केवल सकर्मक और भाववाच्य में अकर्मक होती हैं।










हिन्दी व्याकरण 

•   भाषा   •   लिपि   •   व्याकरण   •   वर्ण,वर्णमाला   •   शब्द   •   वाक्य   •   संज्ञा   •   सर्वनाम   •   क्रिया   •   काल   •   विशेषण   •   अव्यय   •   लिंग   •   उपसर्ग   •   प्रत्यय   •   तत्सम तद्भव शब्द   •    संधि 1   •  संधि 2   •   कारक   •   मुहावरे 1   •   मुहावरे 2   •   लोकोक्ति   •   समास 1   •   समास 2   •   वचन   •   अलंकार   •   विलोम   •   अनेकार्थी शब्द   •  अनेक शब्दों के लिए एक शब्द 1   •   अनेक शब्दों के लिए एक शब्द 2   •   पत्रलेखन   •   विराम चिह्न   •   युग्म शब्द   •   अनुच्छेद लेखन   •   कहानी लेखन   •   संवाद लेखन   •   तार लेखन   •   प्रतिवेदन लेखन   •   पल्लवन   •   संक्षेपण   •   छन्द   •   रस   •   शब्दार्थ   •   धातु   •   पदबंध   •   उपवाक्य   •   शब्दों की अशुद्धियाँ   •   समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द   •   वाच्य   •   सारांश   •   भावार्थ   •   व्याख्या   •   टिप्पण   •   कार्यालयीय आलेखन   •   पर्यायवाची शब्द   •   श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द   •   वाक्य शुद्धि   •   पाठ बोधन   •   शब्द शक्ति   •   हिन्दी संख्याएँ   •   पारिभाषिक शब्दावली   •



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