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मुहावरे (Idioms) Part 1

 


मुहावरे (Idioms)

ऐसे वाक्यांशजो सामान्य अर्थ का बोध  कराकर किसी विलक्षण अर्थ की प्रतीति करायेमुहावरा कहलाता है।

अरबी भाषा का 'मुहावर:' शब्द हिन्दी में 'मुहावराहो गया है। उर्दूवाले 'मुहाविराबोलते हैं। इसका अर्थ 'अभ्यासया 'बातचीतसे है। हिन्दी में 'मुहावराएक पारिभाषिक शब्द बन गया है। कुछ लोग मुहावरा को रोजमर्रा या 'वाग्धाराकहते है।

मुहावरा का प्रयोग करना और ठीक-ठीक अर्थ समझना बड़ा ही कठिन हैयह अभ्यास और बातचीत से ही सीखा जा सकता है। इसलिए इसका नाम मुहावरा पड़ गया

मुहावरे के प्रयोग से भाषा में सरलतासरसताचमत्कार और प्रवाह उत्पत्र होते है। इसका काम है बात इस खूबसूरती से कहना की सुननेवाला उसे समझ भी जाय और उससे प्रभावित भी हो।

मुहावरा की विशेषता

(1) मुहावरे का प्रयोग वाक्य के प्रसंग में होता हैअलग नही। जैसेकोई कहे कि 'पेट काटनातो इससे कोई विलक्षण अर्थ प्रकट नही होता है। इसके विपरीतकोई कहे कि 'मैने पेट काटकरअपने लड़के को पढ़ायातो वाक्य के अर्थ में लाक्षणिकतालालित्य और प्रवाह उत्पत्र होगा।

(2) मुहावरा अपना असली रूप कभी नही बदलता अर्थात उसे पर्यायवाची शब्दों में अनूदित नही किया जा सकता। जैसे कमर टूटना एक मुहावरा हैलेकिन स्थान पर कटिभंग जैसे शब्द का प्रयोग गलत होगा।

(3) मुहावरे का शब्दार्थ नहींउसका अवबोधक अर्थ ही ग्रहण किया जाता हैजैसे- 'खिचड़ी पकाना' ये दोनों शब्द जब मुहावरे के रूप में प्रयुक्त होंगेतब इनका शब्दार्थ कोई काम  देगा। लेकिनवाक्य में जब इन शब्दों का प्रयोग होगातब अवबोधक अर्थ होगा- 'गुप्तरूप से सलाह करना'

(4) मुहावरे का अर्थ प्रसंग के अनुसार होता है। जैसे- 'लड़ाई में खेत आना इसका अर्थ 'युद्ध में शहीद हो जानाहै कि लड़ाई के स्थान पर किसी 'खेतका चला आना।

(5) मुहावरे भाषा की समृद्धि और सभ्यता के विकास के मापक है। इनकी अधिकता अथवा न्यूनता से भाषा के बोलनेवालों के श्रमसामाजिक सम्बन्धऔद्योगिक स्थितिभाषा-निर्माण की शक्तिसांस्कृतिक योग्यताअध्ययनमनन और आमोदक भावसबका एक साथ पता चलता है। जो समाज जितना अधिक व्यवहारिक और कर्मठ होगाउसकी भाषा में इनका प्रयोग उतना ही अधिक होगा।

(6) समाज और देश की तरह मुहावरे भी बनते-बिगड़ते हैं। नये समाज के साथ नये मुहावरे बनते है। प्रचलित मुहावरों का वैज्ञानिक अध्ययन करने पर यह स्पष्ट हो जायेगा कि हमारे सामाजिक जीवन का विकास कितना हुआ। मशीन युग के मुहावरों और सामन्तवादी युग के मुहावरों तथा उनके प्रयोग में बड़ा अन्तर है।

(7) हिन्दी के अधिकतर मुहावरों का सीधा सम्बन्ध शरीर के भित्र-भित्र अंगों से है। यह बात दूसरी भाषाओं के मुहावरों में भी पायी जाती हैजैसेमुँहकानहाथपाँव इत्यादि पर अनेक मुहावरे प्रचलित हैं। हमारे अधिकतर कार्य इन्हीं के सहारे चलते हैं।

यहाँ पर कुछ प्रसिद्ध मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य में प्रयोग सहित दिए जा रहे है।

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अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धि भष्ट होना) - विद्वान और वीर होकर भी रावण की अक्ल पर पत्थर ही पड़ गया था कि उसने राम की पत्नी का अपहरण किया।

आँख भर आना (आँसू आना)- बेटी की विदाई पर माँ की आखें भर आयी।

आँखों में बसना (हृदय में समाना)- वह इतना सुंदर है की उसका रूप मेरी आखों में बस गया है।

अंक भरना (स्नेह से लिपटा लेना)- माँ ने देखते ही बेटी को अंक भर लिया।

अंग टूटना (थकान का दर्द)- इतना काम करना पड़ा कि आज अंग टूट रहे है।

अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना (स्वयं अपनी प्रशंसा करना)- अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता।

अक्ल का चरने जाना (समझ का अभाव होना)- इतना भी समझ नहीं सके ,क्या अक्ल चरने गए है ?

अपने पैरों पर खड़ा होना (स्वालंबी होना)- युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए।

अक्ल का दुश्मन (मूर्ख)- राम तुम मेरी बात क्यों नहीं मानतेलगता है आजकल तुम अक्ल के दुश्मन हो गए हो।

अपना उल्लू सीधा करना (मतलब निकालना)- आजकल के नेता अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते है।

आँखे खुलना (सचेत होना)- ठोकर खाने के बाद ही बहुत से लोगों की आँखे खुलती है।

आँख का तारा - (बहुत प्यारा)- आज्ञाकारी बच्चा माँ-बाप की आँखों का तारा होता है।

आँखे दिखाना (बहुत क्रोध करना)- राम से मैंने सच बातें कह दीतो वह मुझे आँख दिखाने लगा।

आसमान से बातें करना (बहुत ऊँचा होना)- आजकल ऐसी ऐसी इमारते बनने लगी हैजो आसमान से बातें करती है।

अंगारों पर लेटना (डाह होनादुःख सहनावह उसकी तरक्की देखते ही अंगारों पर लोटने लगा। मैं जीवन भर अंगारों पर लोटता रहा हूँ।

अँगूठा दिखाना (समय पर धोखा देना)- अपना काम तो निकाल लियापर जब मुझे जरूरत पड़ीतब अँगूठा दिखा दिया। भलायह भी कोई मित्र का लक्षण है।

अँचरा पसारना(माँगना,याचना करना)- हे देवी मैया,अपने बीमार बेटे के लिए आपके आगे अँचरा पसारती हूँ। उसे भला-चंगा कर दो,माँ।

अण्टी मारना (चाल चलना)- ऐसी अण्टीमारो कि बच्चू चारों खाने चित गिरें।

अण्ड-बण्ड कहना (भला-बुरा या अण्टसण्ट कहना)- क्या अण्ड-बण्ड कहे जा रहे हो। वह सुन लेगातो कचूमर ही निकाल छोड़ेगा।

अन्धाधुन्ध लुटाना (बिना विचारे व्यय)- अपनी कमाई भी कोई अन्धाधुन्ध लुटाता है ?

अन्धा बनना (आगे-पीछे कुछ  देखना)- धर्म से प्रेम करोपर उसके पीछे अन्धा बनने से तो दुनिया नहीं चलती।

अन्धा बनाना (धोखा देना)- मायामृग ने रामजी तक को अन्धा बनाया था। इस माया के पीछे मौजीलाल अन्धे बने तो क्या।

अन्धा होना (विवेकभ्रष्ट होना)- अन्धे हो गये हो क्याजवान बेटे के सामने यह क्या जो-सो बके जा रहे हो ?

अन्धे की लकड़ी (एक ही सहारा)- भाईअब तो यही एक बेटा बचाजो मुझे अन्धे की लकड़ी है। इसे परदेश  जाने दूँगा।

अन्धेरखाता (अन्याय)- मुँहमाँगा दोफिर भी चीज खराब। यह कैसा अन्धेरखाता है।

अन्धेर नगरी (जहाँ धांधली का बोलबाला हो)- इकत्री का सिक्का थातो चाय इकत्री में मिलती थीदस पैसे का निकलातो दस पैसे में मिलने लगी। यह बाजार नहींअन्धेरनगरी ही है।

अकेला दम (अकेला)- मेरा क्या ! अकेला दम हूँजिधर सींग समायेगाचल दूँगा।

अक्ल की दुम (अपने को बड़ा होशियार लगानेवाला)- दस तक का पहाड़ा भी तो आता नहींमगर अक्ल की दुम साइन्स का पण्डित बनता है।

अगले जमाने का आदमी (सीधा-सादाईमानदार)- आज की दुनिया ऐसी हो गई कि अगले जमाने का आदमी बुद्धू समझा जाता है।

अढाई दिन की हुकूमत (कुछ दिनों की शानोशौकत)- जनाबजरा होशियारी से काम लें। यह अढाई दिन की हुकूमत जाती रहेगी।

अत्र-जल उठना (रहने का संयोग  होनामरना)- मालूम होता है कि तुम्हारा यहाँ से अत्र-जल उठ गया हैजो सबसे बिगाड़ किये रहते हो।

अत्र-जल करना (जलपाननाराजगी आदि के कारण निराहार के बाद आहार-ग्रहण)- भाईबहुत दिनों पर आये हो। अत्र-जल तो करते जाओ।

अत्र लगना (स्वस्थ रहना)- उसे ससुराल का ही अत्र लगता है। इसलिए तो वह वहीं का हो गया।

अपना किया पाना (कर्म का फल भोगना)- बेहूदों को जब मुँह लगाया हैतो अपना किया पाओ। झखते क्या हो ?

अपना-सा मुँह लेकर रह जाना (शर्मिन्दा होना)- आज मैंने ऐसी चुभती बात कही कि वे अपना-सा मुँह लिए रह गये।

अपनी खिचड़ी अलग पकाना (स्वार्थी होनाअलग रहना)-यदि सभी अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगेंतो देश और समाज की उत्रति होने से रही।

अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारना (संकट मोल लेना)- उससे तकरार कर तुमने अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारी है।

अब-तब करना (बहाना करना)- कोई भी चीज माँगोवह अब-तब करना शुरू कर देगा।

अब-तब होना (परेशान करना या मरने के करीब होना)- दवा देने से क्या ! वह तो अब-तब हो रहा है।

आँच  आने देना (जरा भी कष्ट या दोष  आने देना)- तुम निश्र्चिन्त रहो। तुमपर आँच  आने दूँगा।

आठ-आठ आँसू रोना (बुरी तरह पछताना)- इस उमर में  पढ़ातो आठ-आठ आँसू  रोओ तो कहना।

आसन डोलना (लुब्ध या विचलित होना)- धन के आगे ईमान का भी आसन डोल जाया करता है।

आस्तीन का साँप (कपटी मित्र)- उससे सावधान रहो। आस्तीन का साँप है वह।

आसमान टूट पड़ना (गजब का संकट पड़ना)- पाँच लोगों को खिलाने-पिलाने में ऐसा क्या आसमान टूट पड़ा कि तुम सारा घर सिर पर उठाये हो ?

अढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना- (सबसे अलग रहना)- मोहन आजकल अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाते है।

अंगारों पर पैर रखना (अपने को खतरे में डालनाइतराना)- भारतीय सेना अंगारों पर पैर रखकर देश की रक्षा करते है।

अक्ल का अजीर्ण होना (आवश्यकता से अधिक अक्ल होना)- सोहन किसी भी विषय में दूसरे को महत्व नही देता हैउसे अक्ल का अजीर्ण हो गया है।

अक्ल दंग होना (चकित होना)- मोहन को पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता लेकिन परीक्षा परिणाम आने पर सब का अक्ल दंग हो गया।

अक्ल का पुतला (बहुत बुद्धिमान)- विदुर जी अक्ल का पुतला थे।

अन्त पाना (भेद पाना)- उसका अन्त पाना कठिन है।

अन्तर के पट खोलना (विवेक से काम लेना)- हर हमेशा हमें अन्तर के पट खोलना चाहिए।

अक्ल के घोड़े दौड़ाना (कल्पनाएँ करना)- वह हमेशा अक्ल के घोड़े दौड़ाता रहता है।

अपनी डफली आप बजाना- (अपने मन की करना)- राधा दूसरे की बात नहीं सुनतीवह हमेशा अपनी डफली आप बजाती है।

अन्धों में काना राजा- (अज्ञानियों में अल्पज्ञान वाले का सम्मान होना)

अंकुश देना- (दबाव डालना)

अंग में अंग चुराना- (शरमाना)

अंग-अंग फूले  समाना- (आनंदविभोर होना)

अंगार बनना- (लाल होनाक्रोध करना)

अंडे का शाहजादा- (अनुभवहीन)

अठखेलियाँ सूझना- (दिल्लगी करना)

अँधेरे मुँह- (प्रातः कालतड़के)

अड़ियल टट्टू- (रूक-रूक कर काम करना)

अपना घर समझना- (बिना संकोच व्यवहार)

अड़चन डालना- (बाधा उपस्थित करना)

अरमान निकालना- (इच्छाएँ पूरी करना)

अरण्य-चन्द्रिका- (निष्प्रयोजन पदार्थ)

आकाश-पाताल एक करना- (अत्यधिक उद्योग/परिश्रम करना)

आकाश से तारे तोड़ना- (कठिन कार्य करना)

आकाश छूना- (बहुत ऊँचा होना)

आग का पुतला- (क्रोधी)

आग पर आग डालना- (जले को जलाना)

आग पर पानी डालना- (क्रुद्ध को शांत करनालड़नेवालों को समझाना-बुझाना)

आग पानी का बैर- (सहज वैर)

आग बबूला होना- (अति क्रुद्ध होना)

आग बोना- (झगड़ा लगाना)

आग में घी डालना- (झगड़ा बढ़ानाक्रोध भड़काना)

आग लगाकर तमाशा देखना- (झगड़ा खड़ाकर उसमें आनंद लेना)

आग लगाकर पानी को दौड़ानापहले झगड़ा लगाकर फिर उसे शांत करने का यत्न करना)

आग लगने पर कुआँ खोदना- (पहले से करने के काम को ऐन वक़्त पर करने चलना)

आग से पानी होना- (क्रोध करने के बाद शांत हो जाना)

आग में कूद पड़ना- (खतरा मोल लेना)

आग उगलना- (क्रोध प्रकट करना)

आन की आन में- (फौरन ही)

आग रखना- (मान रखना)

आटे-दाल का भाव मालूम होना- (सांसरिक कठिनाइयों का ज्ञान होना)

आसमान दिखाना- (पराजित करना)

आड़े आना- (नुकसानदेह)

आड़े हाथों लेना- (झिड़कनाबुरा-भला कहना)

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ईंट से ईंट बजाना (युद्धात्मक विनाश लाना )- शुरू में तो हिटलर ने यूरोप में ईट-से-ईट बजा छोड़ीमगर बाद में खुद उसकी ईंटे बजनी लगी।

ईंट का जबाब पत्थर से देना (जबरदस्त बदला लेना)- भारत अपने दुश्मनों को ईंट का जबाब पत्थर से देगा।

ईद का चाँद होना (बहुत दिनों बाद दिखाई देना)- तुम तो कभी दिखाई ही नहीं देतेतुम्हे देखने को तरस गयाऐसा लगता है कि तुम ईद के चाँद हो गए हो।

इधर-उधर करना- (टालमटोल करना)

इन्द्र का अखाड़ा-(ऐश-मौज की जगह)

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उड़ती चिड़िया पहचानना (मन की या रहस्य की बात ताड़ना )- कोई मुझे धोखा नही दे सकता। मै उड़ती चिड़िया पहचान लेता हुँ।

उन्नीस बीस का अंतर होना (एक का दूसरे से कुछ अच्छा होना )- दोनों गाये बस उन्नीस-बीस है।

उलटी गंगा बहाना (अनहोनी हो जाना)- राम किसी से प्रेम से बात कर लेतो उलटी गंगा बह जाए।

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एक आँख से देखना (बराबर मानना )- प्रजातन्त्र वह शासन है जहाँ कानून मजदूरी अवसर इत्यादि सभी मामले में अपने सदस्यों को एक आँख से देखा जाता है।

एक लाठी से सबको हाँकना (उचित-अनुचित का बिना विचार किये व्यवहार)- समानता का अर्थ एक लाठी से सबको हाँकना नहीं हैबल्कि सबको समान अवसर और जीवन-मूल्य देना है।

एक से तीन बनाना- (खूब नफा करना)

एक आँख  भाना- (तनिक भी अच्छा  लगना)

एक  चलना- (कोई उपाय सफल  होना)

एँड़ी-चोटी का पसीना एक करना- (खूब परिश्रम करना)

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ओखली में सिर देनाइच्छापूर्वक किसी झंझट में पड़नाकष्ट सहने पर उतारू होना)

ओस के मोती- (क्षणभंगुर)

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कागजी घोड़े दौड़ाना (केवल लिखा-पढ़ी करनापर कुछ काम की बात  होना)- आजकल सरकारी दफ्तर में सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ते हैहोता कुछ नही।

कान देना (ध्यान देना)- पिता की बातों पर कण दिया करो।

कान खोलना (सावधान होना)- कान खोलकर सुन लो तिम्हें जुआ नही खेलना है।

कण पकरना (बाज आना)- कान पकड़ो की फिर ऐसा काम  करोगे।

कमर कसना (तैयार होना)- शत्रुओं से लड़ने के लिए भारतीयों को कमर कसकर तैयार हो जाना चाहिए

कलेजा मुँह का आना (भयभीत होना )- गुंडे को देख कर उसका कलेजा मुँह को  गया

कलेजे पर साँप लोटना (डाह करना )- जो सब तरह से भरा पूरा हैदूसरे की उत्रति पर उसके कलेजे पर साँप क्यों लोटे।

कमर टूटना (बेसहारा होना )- जवान बेटे के मर जाने बाप की कमर ही टूट गयी।

किताब का कीड़ा होना (पढाई के अलावा कुछ  करना )- विद्यार्थी को केवल किताब का कीड़ा नहीं होना चाहिएबल्कि स्वस्थ शरीर और उत्रत मस्तिष्कवाला होनहार युवक होना है।

कलम तोड़ना (बढ़िया लिखना)- वाह ! क्या अच्छा लिखा है। तुमने तो कलम तोड़ दी।

कोसों दूर भागना (बहुत अलग रहना)- शराब की क्या बातमै तो भाँग से कोसों दूर भागता हुँ।

कुआँ खोदना (हानि पहुँचाने के यत्न करना)- जो दूसरों के लिये कुआँ खोदता है उसमे वह खुद गिरता है।

कल पड़ना (चैन मिलना)- कल रात वर्षा हुईतो थोड़ी कल पड़ी।

किरकिरा होना (विघ्र आना)- जलसे में उनके शरीक  होने से सारा मजा किरकिरा हो गया।

किस मर्ज की दवा (किस काम के)- चाहते हो चपरासीगीरी और साइकिल चलाओगे नहीं। आखिर तुम किस मर्ज की दवा हो?

कुत्ते की मौत मरना (बुरी तरह मरना)- कंस की किस्मत ही ऐसी थी। कुत्ते की मौत मरा तो क्या।

काँटा निकलना (बाधा दूर होना)- उस बेईमान से पल्ला छूटा। चलोकाँटा निकला।

कागज काला करना (बिना मतलब कुछ लिखना)- वारिसशाह ने अपनी 'हीरके शुरू में ही प्रार्थना की हैरहस्य की बात लिखनेवालों का साथ दोकागज काला करनेवालों का नहीं।

किस खेत की मूली (अधिकारहीनशक्तिहीन)- मेरे सामने तो बड़ों-बड़ों को झुकना पड़ा है। तुम किस खेत की मूली हो ?

कलई खुलना- (भेद प्रकट होना)

कलेजा फटना- (दिल पर बेहद चोट पहुँचना)

करवटें बदलना- (अड़चन डालना)

काला अक्षर भैंस बराबर- (अनपढ़निरा मूर्ख)

काँटे बोना- (बुराई करना)

काँटों में घसीटना- (संकट में डालना)

काठ मार जाना- (स्तब्ध हो जाना)

काम तमाम करना- (मार डालना)

किनारा करना- (अलग होना)

कौड़ी के मेल बिकना- (बहुत सस्ता बिकना)

कोदो देकर पढ़ना- (अधूरी शिक्षा पाना)

कपास ओटना- (सांसरिक काम-धन्धों में लगे रहना)

कीचड़ उछालना- (निन्दा करना)

कोल्हू का बैल- (खूब परिश्रमी)

कौड़ी का तीन समझना- (तुच्छ समझना)

कौड़ी काम का  होना- (किसी काम का  होना)

कौड़ी-कौड़ी जोड़ना- (छोटी-मोटी सभी आय को कंजूसी के साथ बचाकर रखना)

कचूमर निकालना- (खूब पीटना)

कटे पर नमक छिड़कनाविपत्ति के समय और दुःख देना)

कन्नी काटना- (आँख बचाकर भाग जाना)

कोहराम मचाना- (दुःखपूर्ण चीख -पुकार)

किस खेत की मूली- (अधिकारहीनशक्तिहीन)

 )

ख़ाक छानना (भटकना)- नौकरी की खोज में वह खाक छानता रहा।

खून-पसीना एक करना (अधिक परिश्रम करना)- खून पसीना एक करके विद्यार्थी अपने जीवन में सफल होते है।

खरी-खोटी सुनाना (भला-बुरा कहना)- कितनी खरी-खोटी सुना चुका हुँमगर बेकहा माने तब तो ?

खून खौलना (क्रोधित होना)- झूठ बातें सुनते ही मेरा खून खौलने लगता है।

खून का प्यासा (जानी दुश्मन होना)- उसकी क्या बात कर रहे होवह तो मेरे खून का प्यासा हो गया है।

खेत रहना या आना (वीरगति पाना)- पानीपत की तीसरी लड़ाई में इतने मराठे आये कि मराठा-भूमि जवानों से खाली हो गयी।

खटाई में पड़ना (झमेले में पड़नारुक जाना)- बात तय थीलेकिन ऐन मौके पर उसके मुकर जाने से सारा काम खटाई में पड़ गया।

खेल खेलाना (परेशान करना)- खेल खेलाना छोड़ो और साफ-साफ कहो कि तुम्हारा इरादा क्या है।

खून सूखना- (अधिक डर जाना)

खून सवार होना- (किसी को मार डालने के लिए तैयार होना)

खून पीना- (मार डालनासताना )

खून सफेद हो जाना- (बहुत डर जाना)

खम खाना- (दबनानष्ट होना)

खटिया सेना- (बीमार होना)

खाक में मिलना- (बर्बाद होना)

खार खाना- (डाह करना)

खा-पका जाना- (बर्बाद करना)

खेल खेलाना- (परेशान करना)

खुशामदी टट्टू- (मुँहदेखी करना)

खूँटे के बल कूदना- (किसी के भरोसे पर जोर या जोश दिखाना)

ख्याली पुलाव- (सिर्फ कल्पना करना)

 )

गले का हार होना(बहुत प्यारा)- लक्ष्मण राम के गले का हर थे।

गर्दन पर सवार होना (पीछा ना छोड़ना )- जब देखोतुम मेरी गर्दन पर सवार रहते हो।

गला छूटना (पिंड छोड़ना)- उस कंजूस की दोस्ती टूट ही जातीतो गला छूटता।

गर्दन पर छुरी चलाना (नुकसान पहुचाना)- मुझे पता चल गया कि विरोधियों से मिलकर किस तरह मेरे गले पर छुरी चला रहे थेो।

गड़े मुर्दे उखाड़ना (दबी हुई बात फिर से उभारना)- जो हुआ सो हुआअब गड़े मुर्दे उखारने से क्या लाभ ?

गागर में सागर भरना (एक रंग -ढंग पर  रहना)- उसका क्या भरोसा वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है।

गुल खिलना (नयी बात का भेद खुलनाविचित्र बातें होना)- सुनते रहियेदेखिये अभी क्या गुल खिलेगा।

गिरगिट की तरह रंग बदलना (बातें बदलना)- गिरगिट की तरह रंग बदलने से तुम्हारी कोई इज्जत नहीं करेगा।

गाल बजाना (डींग हाँकना)- जो करता हैवही जानता है। गाल बजानेवाले क्या जानें ?

गिन-गिनकर पैर रखना (सुस्त चलनाहद से ज्यादा सावधानी बरतना)- माना कि थक गये होमगर गिन-गिनकर पैर क्या रख रहे हो ? शाम के पहले घर पहुँचना है या नहीं ?

गुस्सा पीना (क्रोध दबाना)- गुस्सा पीकर रह गया। चाचा का वह मुँहलगा  होतातो उसकी गत बना छोड़ता।

गूलर का फूल होना (लापता होना)- वह तो ऐसा गूलर का फूल हो गया है कि उसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है।

गुदड़ी का लाल (गरीब के घर में गुणवान का उत्पत्र होना)- अपने वंश में प्रेमचन्द सचमुच गुदड़ी के लाल थे।

गाँठ में बाँधना (खूब याद रखना )- यह बात गाँठ में बाँध लोतन्दुरुस्ती रही तो सब रहेगा।

गाल बजाना- (डींग मारना)

काल के गाल में जाना- (मृत्यु के मुख में पड़ना)

गंगा लाभ होना- (मर जाना)

गीदड़भभकी- (मन में डरते हुए भी ऊपर से दिखावटी क्रोध करना)

गुड़ गोबर करना- (बनाया काम बिगाड़ना)

गुड़ियों का खेल- (सहज काम)

गुरुघंटाल- (बहुत चालाक)

गतालखाते में जाना-(नष्ट होना)

गज भर की छाती होना- (उत्साहित होना)

गाढ़े में पड़ना- (संकट में पड़ना)

गोटी लाल होना- (लाभ होना)

गढ़ा खोदना- (हानि पहुँचाने का उपाय करना)

गूलर का कीड़ा- (सीमित दायरे में भटकना)

 )

घर का  घाट का (कहीं का नहीं)- कोई काम आता नही और  लगन ही है कि कुछ सीखे-पढ़े। ऐसा घर का  घाट का जिये तो कैसे जिये।

घाव पर नमक छिड़कना (दुःख में दुःख देना)- राम वैसे ही दुखी हैतुम उसे परेशान करके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।

घोड़े बेचकर सोना (बेफिक्र होना)- बेटी तो ब्याह दी। अब क्याघोड़े बेचकर सोओ।

घड़ो पानी पड़ जाना (अत्यन्त लज्जित होना )- वह हमेशा फस्ट क्लास लेता था मगर इस बार परीक्षा में चोरी करते समय रँगे हाथ पकड़े जाने पर बच्चू पर घोड़े पड़ गया।

घी के दीए जलाना (अप्रत्याशित लाभ पर प्रसत्रता)- जिससे तुम्हारी बराबर ठनती रहीवह बेचारा कल शाम कूच कर गया। अब क्या हैघी के दीये जलाओ।

घर बसाना (विवाह करना)- उसने घर क्या बसायाबाहर निकलता ही नहीं।

घात लगाना (मौका ताकना)- वह चोर दरवान इसी दिन के लिए तो घात लगाये थावर्ना विश्र्वास का ऐसा रँगीला नाटक खेलकर सेठ की तिजोरी-चाबी तक कैसे समझे रहता ?

घर का उजाला- (कुलदीप)

घर का मर्द- (बाहर डरपोक)

घर का आदमी-(कुटुम्बइष्ट-मित्र)

घातपर चढ़ना- (तत्पर रहना)

घास खोदना- (व्यर्थ काम करना)

घाव हरा होना- (भूले हुए दुःख को याद करना)

घाट-घाट का पानी पीना- (अच्छे-बुरे अनुभव रखना)

 )

चल बसना (मर जाना)- बेचारे का बेटा भरी जवानी में चल बसा।

चार चाँद लगाना (चौगुनी शोभा देना)- निबन्धों में मुहावरों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाता है।

चिकना घड़ा होना (बेशर्म होना)- तुम ऐसा चिकना घड़ा हो तुम्हारे ऊपर कहने सुनने का कोई असर नहीं पड़ता।

चिराग तले अँधेरा (पण्डित के घर में घोर मूर्खता आचरण )- पण्डितजी स्वयं तो बड़े विद्वान हैकिन्तु उनके लड़के को चिराग तले अँधेरा ही जानो।

चैन की बंशी बजाना (मौज करना)- आजकल राम चैन की बंशी बजा रहा है।

चार दिन की चाँदनी (थोड़े दिन का सुख)- राजा बलि का सारा बल भी जब चार दिन की चाँदनी ही रहातो तुम किस खेत की मूली हो ?

चींटी के पर लगना या जमना (विनाश के लक्षण प्रकट होना)- इसे चींटी के पर जमना ही कहेंगे कि अवतारी राम से रावण बुरी तरह पेश आया।

चूँ  करना (सह जानाजवाब  देना)- वह जीवनभर सारे दुःख सहता रहापर चूँ तक  की।

चादर से बाहर पैर पसारना (आय से अधिक व्यय करना)- डेढ़ सौ ही कमाते हो और इतनी खर्चीली लतें पाल रखी है। चादर के बाहर पैर पसारना कौन-सी अक्लमन्दी है ?

चाँद पर थूकना (व्यर्थ निन्दा या सम्माननीय का अनादर करना)- जिस भलेमानस ने कभी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ाउसे ही तुम बुरा-भला कह रहे हो ?भलाचाँद पर भी थूका जाता है ?

चूड़ियाँ पहनना (स्त्री की-सी असमर्थता प्रकट करना)- इतने अपमान पर भी चुप बैठे होचूड़ियाँ तो नहीं पहन रखी है तुमने ?

चहरे पर हवाइयाँ उड़ना (डरनाघबराना)- साम्यवाद का नाम सुनते ही पूँजीपतियों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगती है।

चाँदी काटना (खूब आमदनी करना)- कार्यालय में बाबू लोग खूब चाँदी काट रहे है।

चलता-पुर्जा- (काफी चालाक)

चाँद का टुकड़ा- (बहुत सुन्दर)

चल निकलना- (प्रगति करनाबढ़ना)

चिकने घड़े पर पानी पड़ना- (उपदेश का कोई प्रभाव  पड़ना)

चोली-दामन का साथ- (काफी घनिष्ठता)

चुनौती देना- (ललकारना)

चुल्लू भर पानी में डूब मरना- (अत्यन्त लज्जित होना)

चैन की वंशी बजाना- (सुख से समय बिताना)

चोटी का पसीना एँड़ी तक बहना- (खूब परिश्रम करना)

चण्डूखाने की गप- (झूठी गप)

चम्पत हो जाना- (भाग जाना)

चींटी के पर जमना- (ऐसा काम करना जिससे हानि या मृत्यु हो

चकमा देना- (धोखा देना)

चाचा बनाना- (दण्ड देना)

चरबी छाना- (घमण्ड होना)

चाँदी का जूता- (रूपये का जोर)

 )

छक्के छूटना (बुरी तरह पराजित होना)- महाराजकुमार विजयनगरम की विकेट-कीपरी में अच्छे-अच्छे बॉलर के छक्के छूट चुके है।

छप्पर फाडकर देना (बिना मेहनत का अधिक धन पाना)- ईश्वर जिसे देता हैउसे छप्पर फाड़कर देता है।

छाती पर पत्थर रखना (कठोर ह्रदय)- उसने छाती पर पत्थर रखकर अपने पुत्र को विदेश भेजा था।

छाती पर सवार होना ( जाना)- अभी वह बात कर रही थी कि बच्चे उसके छाती पर सवार हो गए।

छक्के छुड़ाना- (खूब परेशान करना)

छठी का दूध याद करना- (सुख भूल जाना)

छाती पर मूँग या कोदो दलना- (कष्ट देना)

छः पाँच करना- (आनाकानी करना)

छाती पर साँप लोटना- (किसी के प्रति डाह)

छोटी मुँह बड़ी बात- (योग्यता से बढ़कर बोलना)

 )

जहर उगलना (द्वेषपूर्ण बात करना )- पडोसी देश चीन और पाकिस्तान हमारे देश के प्रति हमेशा जहर उगलते रहते है।

जलती आग में घी डालना (क्रोध बढ़ाना)- बहन ने भाई की शिकायत करके जलती आग में भी डाल दिया।

जमीन आसमान एक करना (बहुत प्रयन्त करना)- मै शहर में अच्छा मकान लेने के लिए जमीन आसमान एक कर दे रहा हूँ परन्तु सफलता नहीं मिल रही है।

जान पर खेलना (साहसिक कार्य )- हम जान पर खेलकर भी अपने देश की रक्षा करेंगे।

जूते चाटना (चापलूसी करना )- अफसरों के जूते चाटते -चाटते वह थक गया ,मगर कोई फल  निकला।

जड़ उखाड़ना- (पूर्ण नाश करना)

जंगल में मंगल करना- (शून्य स्थान को भी आनन्दमय कर देना)

जबान में लगाम  होना- (बिना सोचे-समझे बोलना)

जी का जंजाल होना- (अच्छा  लगना)

जमीन का पैरों तले से निकल जाना- (सन्नाटे में आना)

जमीन चूमने लगा- (धराशायी होना)

जान खाना- (तंग करना)

जी टूटना- (दिल टूटना)

जी लगना- (मन लगना)

जी खट्टा होना- (खराब अनुभव होना)

जीती मक्खी निगलना- (जान-बूझकर बेईमानी या कोई अशोभनीय कार्य करना)

जी चुराना- (कोशिश  करना)

झाड़ मारना- (घृणा करना)

झक मारना (विवश होना)- दूसरा कोई साधन नहीं हैै। झक मारकर तुम्हे साइकिल से जाना पड़ेगा।

 )

टाँग अड़ाना (अड़चन डालना)- हर बात में टाँग ही अड़ाते हो या कुछ आता भी है तुम्हे ?

टका सा जबाब देना ( साफ़ इनकार करना)- मै नौकरी के लिए मैनेज़र से मिला लेकिन उन्होंने टका सा जबाब दे दिया।

टस से मस  होना ( कुछ भी प्रभाव  पड़ना)- दवा लाने के लिए मै घंटों से कह रहा हूँपरन्तु आप आप टस से मस नहीं हो रहे हैं।

टोपी उछालना (अपमान करना)- अपने घर को देखो ,दूसरों की टोपी उछालने से क्या लाभ ?

टका-सा मुँह लेकर रह जाना- (लज्जित हो जाना)

टट्टी की आड़ में शिकार खेलना- (छिपकर बुरा काम करना)

टाट उलटना- (व्यापारी का अपने को दिवालिया घोषित कर देना)

टेढ़ी खीर- (कठिन काम)

टें-टें-पों-पों - (व्यर्थ हल्ला करना)

टुकड़ों पर पलना- (दूसरों की कमाई पर गुजारा करना)

 )

ठन-ठन गोपाल- (मूर्खगरीबकुछ नहीं)

ठगा-सा- (भौंचक्का-सा)

ठठेरे-ठठेरे बदला- (समान बुद्धिवाले से काम पड़ना)

 )

डकार जाना ( हड़प जाना)- सियाराम अपने भाई की सारी संपत्ति डकार गया।

डूबते को तिनके का सहारा- (संकट में पड़े को थोड़ी मदद)

डींग हाँकना- (शेखी बघारना)

डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना- (अलग-अलग होकर काम करना)

डोरी ढीली करना- (सँभालकर काम  करना)

 )

ढील देना- (अधीनता में  रखना)

ढेर करना- (मारकर गिरा देना)

ढेर होना- (मर जाना)

ढोल पीटना- (जाहिर करना)

 )

तिल का ताड़ बनाना (बात को तूल देना)- सिर्फ बेहूदामगर मुहल्लेवालों ने यह तिल का तार कर दिया कि मैने उसे दुनयाभर गालियाँ दी।

तूती बोलना (प्रभाव जमाना )- आजकल तो आपकी ही तूती बोल रही है।

तह देना- (दवा देना)

तह-पर-तह देना- (खूब खाना)

तरह देना- (ख्याल  करना)

तंग करना- (हैरान करना)

तंग हाथ होना- (निर्धन होना)

तलवे चाटना या सहलाना- (खुशामद करना)

तिनके को पहाड़ करना- (छोटी बात को बड़ी बनाना)

तीन तरह करना या होना- (नष्ट करनातितर बितर करना)

ताड़ जाना- (समझ जाना)

तुक में तुक मिलाना- (खुशामद करना)

तेवर बदलना- (क्रोध करना)

ताना मारना-(व्यंग्य वचन बोलना)

ताक में रहना- (खोज में रहना)

तारे गिनना- (दुर्दशाग्रस्त होनाकाफी चोट पहुँचना)

तोते की तरह आँखें फेरना- (बेमुरौवत होना)

 )

थूक कर चाटना (बात देकर फिरना )- मै राम की तरह थूक कर चाटना वाला नहीं हूँ।

थाली का बैंगन होना- (जिसका विचार स्थिर  रहे)

थू-थू करना- (घृणा प्रकट करना)

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दम टूटना (मर जाना )- शेर ने एक ही गोली में दम तोड़ दिया।

दिन दूना रात चौगुना (खूब उनती )- योजनाओं के चलते ही देश का विकास दिन दूना रात चौगुना हुआ।

दाल में काला होना (संदेह होना ) - हम लोगों की ओट में ये जिस तरह धीरे -धीरे बातें कर रहें हैउससे मुझे दाल में काला लग रहा है।

दौड़-धूप करना (बड़ी कोशिश करना)- कौन बाप अपनी बेटी के ब्याह के लिए दौड़-धूप नहीं करता ?

दो कौड़ी का आदमी (तुच्छ या अविश्र्वसनीय व्यक्ति)- किस दो कौड़ी के आदमी की बात करते हो ?

दो टूक बात कहना (स्पष्ट कह देना)- अंगद ने रावण से दो टूक बात कही।

दो दिन का मेहमान (जल्द मरनेवाला)- किसी का क्या बिगाड़ेगा ? वह बेचारा खुद दो दिन का मेहमान है।

दूध के दाँत  टूटना (ज्ञानहीन या अनुभवहीन)- वह सभा में क्या बोलेगा ? अभी तो उसके दूध के दाँत भी नहीं टूटे हैं।

दम मारना- (विश्राम करना)

दम में दम आना- (राहत होना)

दाल गलना- (कामयाब होनाप्रयोजन सिद्ध होना)

दूज का चाँद होना- (कम दर्शन होना)

दाँव खेलना- (धोखा देना)

दिनों का फेर होना- (बुरे दिन आना)

दीदे का पानी ढल जाना- (बेशर्म होना)

दिमाग खाना- (बकवास करना)

दिल बढ़ाना- (साहस भरना)

दिल टूटना- (साहस टूटना)

दुकान बढ़ाना- (दूकान बंद करना)

दूध के दाँत  टूटना- (ज्ञान और अनुभव का  होना)

दूध का दूध पानी का पानी- (निष्पक्ष न्याय)

दायें-बायें देखना- (सावधान होना)

दिल दरिया होना- (उदार होना)

दो नाव पर पैर रखना- (इधर भीउधर भीदो पक्षों से मेल रखना)

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धज्जियाँ उड़ाना (किसी के दोषों को चुन-चुनकर गिनाना)- उसने उनलोगों की धज्जियाँ उड़ाना शुरू किया कि वे वहाँ से भाग खड़े हुए।

धता बताना- (टालनाभागना)

धरती पर पाँव  रखना- (घमंडी होना)

धाक जमाना- (रोब होना)

धुँआ-सा मुँह होना- (लज्जित होना)

धूप में बाल सफेद करना- (बिना अनुभव प्राप्त किये बूढा होना)

धूल छानना- (मारे-मारे फिरना)

धोबी का कुत्ता- (निकम्मा)

धोती ढीली होना- (डर जाना)






हिन्दी व्याकरण 

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