प्रयोग की दृष्टि से समास के भेद-
प्रयोग की दृष्टि से समास के तीन भेद किये जा सकते है-
(1)संयोगमूलक समास (2)आश्रयमूलक समास (3)वर्णनमूलक समास
(1)संज्ञा-समास :- संयोगमूलक समास को संज्ञा-समास कहते है। इस प्रकार के समास में दोनों पद संज्ञा होते है।
दूसरे शब्दों में, इसमें दो संज्ञाओं का संयोग होता है।
जैसे- माँ-बाप, भाई-बहन, माँ-बेटी, सास-पतोहू, दिन-रात, रोटी-बेटी, माता-पिता, दही-बड़ा, दूध-दही, थाना-पुलिस, सूर्य-चन्द्र इत्यादि।
(2)विशेषण-समास:- यह आश्रयमूलक समास है। यह प्रायः कर्मधारय समास होता है। इस समास में प्रथम पद विशेषण होता है, किन्तु द्वितीय पद का अर्थ बलवान होता है। कर्मधारय का अर्थ है कर्म अथवा वृत्ति धारण करनेवाला। यह विशेषण-विशेष्य, विशेष्य-विशेषण, विशेषण तथा विशेष्य पदों द्वारा सम्पत्र होता है। जैसे-
(क) जहाँ पूर्वपद विशेषण हो; यथा- कच्चाकेला, शीशमहल, महरानी।
(ख)जहाँ उत्तरपद विशेषण हो; यथा- घनश्याम।
(ग़)जहाँ दोनों पद विशेषण हों; यथा- लाल-पीला, खट्टा-मीठा।
(घ) जहाँ दोनों पद विशेष्य हों; यथा- मौलवीसाहब, राजाबहादुर।
(3)अव्यय समास :- वर्णमूलक समास के अन्तर्गत बहुव्रीहि और अव्ययीभाव समास का निर्माण होता है। इस समास (अव्ययीभाव) में प्रथम पद साधारणतः अव्यय होता है और दूसरा पद संज्ञा। जैसे- यथाशक्ति, यथासाध्य, प्रतिमास, यथासम्भव, घड़ी-घड़ी, प्रत्येक, भरपेट, यथाशीघ्र इत्यादि।
सन्धि और समास में अन्तर
सन्धि और समास का अन्तर इस प्रकार है-
(i) समास में दो पदों का योग होता है; किन्तु सन्धि में दो वर्णो का।
(ii) समास में पदों के प्रत्यय समाप्त कर दिये जाते है। सन्धि के लिए दो वर्णों के मेल और विकार की गुंजाइश रहती है, जबकि समास को इस मेल या विकार से कोई मतलब नहीं।
(iii) सन्धि के तोड़ने को 'विच्छेद' कहते है, जबकि समास का 'विग्रह' होता है। जैसे- 'पीताम्बर' में दो पद है- 'पीत' और 'अम्बर' । सन्धिविच्छेद होगा- पीत+अम्बर;
जबकि समासविग्रह होगा- पीत है जो अम्बर या पीत है जिसका अम्बर = पीताम्बर। यहाँ ध्यान देने की बात है कि हिंदी में सन्धि केवल तत्सम पदों में होती है, जबकि समास संस्कृत तत्सम, हिन्दी, उर्दू हर प्रकार के पदों में। यही कारण है कि हिंदी पदों के समास में सन्धि आवश्यक नहीं है।
संधि में वर्णो के योग से वर्ण परिवर्तन भी होता है जबकि समास में ऐसा नहीं होता।
कर्मधारय और बहुव्रीहि समास में अंतर
इन दोनों समासों में अंतर समझने के लिए इनके विग्रह पर ध्यान देना चाहिए। कर्मधारय समास में एक पद विशेषण या उपमान होता है और दूसरा पद विशेष्य या उपमेय होता है। जैसे-'नीलगगन' में 'नील' विशेषण है तथा 'गगन' विशेष्य है। इसी तरह 'चरणकमल' में 'चरण' उपमेय है और 'कमल' उपमान है। अतः ये दोनों उदाहरण कर्मधारय समास के है।
बहुव्रीहि समास में समस्त पद ही किसी संज्ञा के विशेषण का कार्य करता है। जैसे- 'चक्रधर' चक्र को धारण करता है जो अर्थात 'श्रीकृष्ण' ।
नीलकंठ- नीला है जो कंठ- कर्मधारय समास।
नीलकंठ- नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव- बहुव्रीहि समास।
लंबोदर- मोटे पेट वाला- कर्मधारय समास।
लंबोदर- लंबा है उदर जिसका अर्थात गणेश- बहुव्रीहि समास।
द्विगु और बहुव्रीहि समास में अंतर
द्विगु समास का पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है और दूसरा पद विशेष्य होता है जबकि बहुव्रीहि समास में समस्त पद ही विशेषण का कार्य करता है। जैसे-
चतुर्भुज- चार भुजाओं का समूह- द्विगु समास।
चतुर्भुज- चार है भुजाएँ जिसकी अर्थात विष्णु- बहुव्रीहि समास।
पंचवटी- पाँच वटों का समाहार- द्विगु समास।
पंचवटी- पाँच वटों से घिरा एक निश्चित स्थल अर्थात दंडकारण्य में स्थित वह स्थान जहाँ वनवासी राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ निवास किया- बहुव्रीहि समास।
दशानन- दस आननों का समूह- द्विगु समास।
दशानन- दस आनन हैं जिसके अर्थात रावण- बहुव्रीहि समास।
द्विगु और कर्मधारय में अंतर
(i) द्विगु का पहला पद हमेशा संख्यावाचक विशेषण होता है जो दूसरे पद की गिनती बताता है जबकि कर्मधारय का एक पद विशेषण होने पर भी संख्यावाचक कभी नहीं होता है।
(ii) द्विगु का पहला पद ही विशेषण बन कर प्रयोग में आता है जबकि कर्मधारय में कोई भी पद दूसरे पद का विशेषण हो सकता है। जैसे-
नवरत्न- नौ रत्नों का समूह- द्विगु समास
चतुर्वर्ण- चार वर्णो का समूह- द्विगु समास
पुरुषोत्तम- पुरुषों में जो है उत्तम- कर्मधारय समास
रक्तोत्पल- रक्त है जो उत्पल- कर्मधारय समास
सामासिक पदों की सूची
तत्पुरुष समास (कर्मतत्पुरुष)
पद विग्रह पद विग्रह
गगनचुम्बी गगन (को) चूमनेवाला पाकिटमार पाकिट (को) मारनेवाला
चिड़ीमार चिड़ियों (को) मारनेवाला गृहागत गृह को आगत
कठखोदवा काठ (को) खोदनेवाला गिरहकट गिरह (को) काटनेवाला
मुँहतोड़ मुँह (को) तोड़नेवाला स्वर्गप्राप्त स्वर्ग को प्राप्त
अनुभव जन्य अनुभव से जन्य आपबीती आप पर बीती (सप्तमी तत्पुरुष)
उद्योगपति उद्योग का पति (मालिक) गुणहीन गुणों से हीन
घुड़दौड़ घोड़ों की दौड़ जन्मांध जन्म से अंधा
देशाटन देश में अटन (भ्रमण) दानवीर दान में वीर
देशवासी देश का वासी अमृतधारा अमृत की धारा
अछूतोद्धार अछूतों का उद्धार आत्मविश्वास आत्मा पर विश्वास
ऋषिकन्या ऋषि की कन्या कष्टसाध्य कष्ट से होने वाला
हरघड़ी घड़ी-घड़ी या प्रत्येक घड़ी गुरुदक्षिणा गुरु के लिए दक्षिणा
गृहप्रवेश गृह में प्रवेश गोबर गणेश गोबर से बना गणेश
दहीबड़ा दही में डूबा हुआ बड़ा अकाल पीड़ित अकाल से पीड़ित
गोशाला गौओं के लिए शाला गंगाजल गंगा का जल
घुड़सवार घोड़े पर सवार जीवनसाथी जीवन का साथी
जलधारा जल की धारा देशभक्ति देश की भक्ति
पूँजीपति पूँजी का पति भयभीत भय से भीत (डरा)
हस्तलिखित हाथ से लिखित पथभ्रष्ट पथ से भ्रष्ट
देशभक्त देश का भक्त चरित्रचित्रण चरित्र का चित्रण
दानवीर दान देने में वीर (सप्तमी तत्पुरुष) युधिष्ठिर युद्ध में स्थिर
पर्णशाला पर्णनिर्मित शाला पुरुषोत्तम पुरुषों में उत्तम
कुम्भकार कुम्भ को करने (बनाने)वाला (उपपद तत्पुरुष) नेत्रहीन नेत्र से हीन
राहखर्च राह के लिए खर्च शरणागत शरण में आगत
विद्यासागर विद्या का सागर आकाशवाणी आकाश से वाणी
आनन्दाश्रम आनन्द का आश्रम नराधम नरों में अधम
कर्महीन कर्म से हीन (पंचमी तत्पुरुष) कर्मनिरत कर्म से निरत (सप्तमी तत्पुरुष)
कविश्रेष्ठ कवियों से श्रेष्ठ विद्यार्थी विद्या का अर्थी (ष० तत्पुरुष)
काव्यकार काव्य की रचना करनेवाला (उपपद तत्पुरुष) कृषिप्रधान कृषि में प्रधान(सप्तमी तत्पुरुष)
क्षत्रियाधम क्षत्रियों में अधम(सप्तमी तत्पुरुष) कृष्णार्पण कृष्ण के लिए अर्पण (चतुर्थी तत्पुरुष)
ग्रामोद्धार ग्राम का उद्धार (ष० तत्पुरुष) गिरहकट गिरह को काटनेवाला (द्वि तत्पुरुष)
गृहस्थ गृह में स्थित (उपपद तत्पुरुष) चन्द्रोदय चन्द्र का उदय (ष० तत्पुरुष)
जीवनमुक्त जीवन से मुक्त (ष० तत्पुरुष) ठाकुरसुहाती ठाकुर (मालिक) के लिए रुचिकर बातें
तिलचट्टा तिल को चाटने वाला दयासागर दया का सागर
दुखसंतप्त दुःख से संतप्त देशगत देश को गया हुआ
धनहीन धन से हीन धर्मविमुख धर्म से विमुख
नरोत्तम नरों में उत्तम पददलित पद से दलित
पदच्युत पद से च्युत परीक्षोपयोगी परीक्षा के लिए उपयोगी
पादप पैर से पीनेवाला (उपपद तत्पुरुष) पुत्रशोक पुत्र के लिए शोक
पुस्तकालय पुस्तक के लिए आलय मनमौजी मन से मौजी
मनगढ़न्त मन से गढ़ा हुआ (तृ० तत्पुरुष) मदमाता मद से माता (तृ० तत्पुरुष)
मालगोदाम माल के लिए गोदाम रसोईघर रसोई के लिए घर
रामायण राम का अयन (ष० तत्पुरुष) राजकन्या राजा की कन्या (ष० तत्पुरुष)
करणतत्पुरुष
पद विग्रह पद विग्रह
प्रेमासिक्त प्रेम से सिक्त जलसिक्त जल से सिक्त
रसभरा रस से भरा मदमाता मद से माता
मेघाच्छत्र मेघ से आच्छत्र रोगपीड़ित रोग से पीड़ित
रोगग्रस्त रोग से ग्रस्त मुँहमाँगा मुँह से माँगा
दुःखार्त दुःख से आर्त मदान्ध मद से अन्ध
देहचोर देह से चोर पददलित पद से दलित
तुलसीकृत तुलसी द्वारा कृत दुःखसन्तप्त दुःख से सन्तप्त
शोकाकुल शोक से आकुल करुणापूर्ण करुणा से पूर्ण
अकालपीड़ित अकाल से पीड़ित शोकग्रस्त शोक से ग्रस्त
शोकार्त शोक से आर्त श्रमजीवी श्रम से जीनेवाला
कामचोर काम से चोर मुँहचोर मुँह से चोर
सम्प्रदान तत्पुरुष
पद विग्रह पद विग्रह
शिवार्पण शिव के लिए अर्पण रसोईघर रसोई के लिए घर
सभाभवन सभा के लिए भवन लोकहितकारी लोक के लिए हितकारी
मार्गव्यय मार्ग के लिए व्यय स्नानघर स्नान के लिए घर
मालगोदाम माल के लिए गोदाम डाकमहसूल डाक के लिए महसूल
साधुदक्षिणा साधु के लिए दक्षिणा देशभक्ति देश के लिए भक्ति
पुत्रशोक पुत्र के लिए शोक ब्राह्मणदेय ब्राह्मण के लिए देय
राहखर्च राह के लिए खर्च गोशाला गो के लिए शाला
देवालय देव के लिए आलय विधानसभा विधान के लिए सभा
परीक्षा भवन परीक्षा के लिए भवन
अपादान तत्पुरुष
पद विग्रह पद विग्रह
बलहीन बल से हीन धनहीन धन से हीन
पदभ्रष्ट पद से भ्रष्ट स्थानभ्रष्ट स्थान से भ्रष्ट
मायारिक्त माया से रिक्त पापमुक्त पाप से मुक्त
ऋणमुक्त ऋण से मुक्त ईश्र्वरविमुख ईश्र्वर से विमुख
स्थानच्युत स्थान से च्युत लोकोत्तर लोक से उत्तर (परे)
नेत्रहीन नेत्र से हीन शक्तिहीन शक्ति से हीन
पथभ्रष्ट पथ से भ्रष्ट जलरिक्त जल से रिक्त
प्रेमरिक्त प्रेम से रिक्त व्ययमुक्त व्यय से मुक्त
धर्मविमुख धर्म से विमुख पदच्युत पद से च्युत
धर्मच्युत धर्म से च्युत मरणोत्तर मरण से उत्तर
देश निकाला देश से निकाला जन्मांध जन्म से अंधा
सम्बन्ध तत्पुरुष
पद विग्रह पद विग्रह
अत्रदान अत्र का दान श्रमदान श्रम का दान
वीरकन्या वीर की कन्या त्रिपुरारि त्रिपुर का अरि
राजभवन राजा का भवन प्रेमोपासक प्रेम का उपासक
आनन्दाश्रम आनन्द का आश्रम देवालय देव का आलय
रामायण राम का अयन खरारि खर का अरि
गंगाजल गंगा का जल रामोपासक राम का उपासक
चन्द्रोदय चन्द्र का उदय देशसेवा देश की सेवा
चरित्रचित्रण चरित्र का चित्रण राजगृह राजा का गृह
आमरस आम का रस राजदरबार राजा का दरबार
सभापति सभा का पति विद्यासागर विद्या का सागर
गुरुसेवा गुरु की सेवा सेनानायक सेना का नायक
ग्रामोद्धार ग्राम का उद्धार मृगछौना मृग का छौना
राजपुत्र राजा का पुत्र पुस्तकालय पुस्तक का आलय
राष्ट्रपति राष्ट्र का पति हिमालय हिम का आलय
घुड़दौड़ घोड़ों की दौड़ सेनानायक सेना के नायक
यथाशक्ति शक्ति के अनुसार राजपुरुष राजा का पुरुष
राजमंत्री राजा का मंत्री
अधिकरण तत्पुरुष
पद विग्रह पद विग्रह
पुरुषोत्तम पुरुषों में उत्तम पुरुषसिंह पुरुषों में सिंह
ग्रामवास ग्राम में वास शास्त्रप्रवीण शास्त्रों में प्रवीण
आत्मनिर्भर आत्म पर निर्भर क्षत्रियाधम क्षत्रियों में अधम
शरणागत शरण में आगत हरफनमौला हर फन में मौला
मुनिश्रेष्ठ मुनियों में श्रेष्ठ नरोत्तम नरों में उत्तम
ध्यानमग्न ध्यान में मग्न कविश्रेष्ठ कवियों में श्रेष्ठ
दानवीर दान में वीर गृहप्रवेश गृह में प्रवेश
नराधम नरों में अधम सर्वोत्तम सर्व में उत्तम
रणशूर रण में शूर आनन्दमग्न आनन्द में मग्न
आपबीती आप पर बीती
कर्मधारय समास
पद विग्रह पद विग्रह
नवयुवक नव युवक छुटभैये छोटे भैये
कापुरुष कुत्सित पुरुष कदत्र कुत्सित अत्र
निलोत्पल नील उत्पल महापुरुष महान पुरुष
सन्मार्ग सत् मार्ग पीताम्बर पीत अम्बर
परमेश्र्वर परम् ईश्र्वर सज्जन सत् जन
महाकाव्य महान् काव्य वीरबाला वीर बाला
महात्मा महान् है जो आत्मा महावीर महान् वीर
अंधविश्वास अंधा है जो विश्वास अंधकूप अंधा है जो कूप (कुआँ)
घनश्याम घन के समान श्याम नीलकंठ नीला है जो कंठ
अधपका आधा है जो पका काली मिर्च काली है जो मिर्च
दुरात्मा दुर (बुरी) है जो आत्मा नीलाम्बर नीला है जो अंबर
अकाल मृत्यु अकाल (असमय) है जो मृत्यु नीलगाय नीली है जो गाय
नील गगन नीला है जो गगन परमांनद परम् है जो आनंद
महाराजा महान है जो राजा महादेव महान है जो देव
शुभागमन शुभ है जो आगमन महाजन महान है जो जन
नरसिंह नर रूपी सिंह चंद्रमुख चंद्र के समान मुख
क्रोधाग्नि क्रोध रूपी अग्नि श्वेताम्बर श्वेत है जो अम्बर
लाल टोपी लाल है जो टोपी सदधर्म सत है जो धर्म
महाविद्यालय महान है जो विद्यालय विद्याधन विद्या रूपी धन
करकमल कमल के समान कर मृगनयन मृग जैसे नयन
खटमिट्ठा खट्टा और मीठा है नरोत्तम नरों में उत्तम हैं जो
प्राणप्रिय प्राण के समान प्रिय घनश्याम घन के समान श्याम
कमलनयन कमल सरीखा नयन परमांनद परम आनंद
चन्द्रमुख चाँद-सा सुन्दर मुख चन्द्रवदन चन्द्र के समान वदन (मुखड़ा)
घृतात्र घृत मिश्रित अत्र महाकाव्य महान है काव्य जो
लौहपुरुष लौह सदृश पुरुष कुसुमकोमल कुसुम के समान कोमल
कपोताग्रीवा कपोत के समान ग्रीवा गगनांगन गगन रूपी आंगन
चरणकमल कमल के समान चरण तिलपापड़ी तिल से बनी पापड़ी
दहीबड़ा दही में भिंगोया बड़ा पकौड़ी पकी हुई बड़ी
परमेश्वर परम ईश्वर महाशय महान आशय
महारानी महती रानी मृगनयन मृग के समान नयन
विशेष्यपूर्वपदकर्मधारय
पद विग्रह पद विग्रह
कुमारश्रवणा कुमारी (क्वांरी) मदनमनोहर मदन जो मनोहर है
श्यामसुन्दर श्याम जो सुन्दर है जनकखेतिहर जनक खेतिहर (खेती करनेवाला)
विशेषणोभयपदकर्मधारय
पद विग्रह पद विग्रह
नीलपीत नीला-पीला (दोनों मिले) कृताकृत किया-बेकिया
शीतोष्ण शीत-उष्ण (दोनों मिले) कहनी-अनकहनी कहना-न-कहना
विशेष्योभयपदकर्मधारय
पद विग्रह पद विग्रह
आम्रवृक्ष आम्र है जो वृक्ष वायसदम्पति वायस है जो दम्पति
उपमानकर्मधारय
पद विग्रह पद विग्रह
विद्युद्वेग विद्युत के समान वेग शैलोत्रत शैल के समान उत्रत
कुसुमकोमल कुसुम के समान कोमल घनश्याम घन-जैसा श्याम
लौहपुरुष लोहे के समान पुरुष (कठोर)
उपमितकर्मधारय
पद विग्रह पद विग्रह
चरणकमल चरण कमल के समान मुखचन्द्र मुख चन्द्र के समान
अधरपल्लव अधर पल्लव के समान नरसिंह नर सिंह के समान
पद पंकज पद पंकज के समान
रूपकर्मधारय
पद विग्रह पद विग्रह
पुरुषरत्न पुरुष ही है रत्न भाष्याब्धि भाष्य ही है अब्धि
मुखचन्द्र मुख ही है चन्द्र पुत्ररत्न पुत्र ही है रत्न
अव्ययीभाव समास
पद विग्रह पद विग्रह
दिनानुदिन दिन के बाद दिन प्रत्यंग अंग-अंग
भरपेट पेट भरकर यथाशक्ति शक्ति के अनुसार
निर्भय बिना भय का उपकूल कूल के समीप
प्रत्यक्ष अक्षि के सामने निधड़क बिना धड़क के
बखूबी खूबी के साथ यथार्थ अर्थ के अनुसार
प्रत्येक एक-एक मनमाना मन के अनुसार
यथाशीघ्र जितना शीघ्र हो बेकाम बिना काम का
बेलाग बिना लाग का आपादमस्तक पाद से मस्तक तक
प्रत्युपकार उपकार के प्रति परोक्ष अक्षि के परे
बेफायदा बिना फायदे का बेरहम बिना रहम के
प्रतिदिन दिन दिन आमरण मरण तक
अनुरूप रूप के योग्य यथाक्रम क्रम के अनुसार
बेखटके बिना खटके वे (बिन) यथासमय समय के अनुसार
आजन्म जन्म से लेकर एकाएक अचानक, अकस्मात
दिनोंदिन कुछ (या दिन) ही दिन में यथोचित जितना उचित हो
रातोंरात रात-ही-रात में आजीवन जीवन पर्यत/तक
गली-गली प्रत्येक गली भरपूर पूरा भरा हुआ
यथानियम नियम के अनुसार प्रतिवर्ष वर्ष-वर्ष/हर वर्ष
बीचोंबीच बीच ही बीच में आजकल आज और कल
यथाविधि विधि के अनुसार यथास्थान स्थान के अनुसार
यथासंभव संभावना के अनुसार व्यर्थ बिना अर्थ के
रातभर भर रात अनुकूल कुल के अनुसार
अनुरूप रूप के ऐसा आसमुद्र समुद्रपर्यन्त
पल-पल हर पल बार-बार हर बार
द्विगु कर्मधारय (समाहारद्विगु)
पद विग्रह पद विग्रह
त्रिभुवन तीन भुवनों का समाहार त्रिकाल तीन कालों का समाहार
चवत्री चार आनों का समाहार नवग्रह नौ ग्रहों का समाहार
त्रिगुण तीन गुणों का समूह पसेरी पाँच सेरों का समाहार
अष्टाध्यायी अष्ट अध्यायों का समाहार त्रिपाद तीन पादों का समाहार
पंचवटी पाँच वटों का समाहार त्रिलोक, त्रिलोकी तीन लोकों का समाहार
दुअत्री दो आनों का समाहार चौराहा चार राहों का समाहार
त्रिफला तीन फलों का समाहार नवरत्न नव रत्नों का समाहार
सतसई सात सौ का समाहार पंचपात्र पाँच पात्रों का समाहार
चतुर्भुज चार भुजाओं का समूह चारपाई चार पैरों का समाहार
तिरंगा तीन रंगों का समाहार अष्टसिद्धि आठ सिद्धियों का समाहार
चतुर्मुख चार मुखों का समूह त्रिवेणी तीन वेणियों का समूह
नवनिधि नौ निधियों का समाहार चवन्नी चार आनों का समाहार
दोपहर दो पहरों का समाहार पंचतंत्र पाँच तंत्रो का समाहार
सप्ताह सात दिनों का समूह त्रिनेत्र तीनों नेत्रों का समूह
दुराहा दो राहों का समाहार चतुर्वेद चार वेदों का समाहार
उत्तरपदप्रधानद्विगु
पद विग्रह पद विग्रह
दुपहर दूसरा पहर शतांश शत (सौवाँ) अंश
पंचहत्थड़ पाँच हत्थड़ (हैण्डिल) पंचप्रमाण पाँच प्रमाण (नाप)
दुसूती दो सूतोंवाला दुधारी दो धारोंवाली (तलवार)
बहुव्रीहि (समानाधिकरणबहुव्रीहि)
पद विग्रह पद विग्रह
प्राप्तोदक प्राप्त है उदक जिसे दत्तभोजन दत्त है भोजन जिसे
पीताम्बर पीत है अम्बर जिसका जितेन्द्रिय जीती है इन्द्रियाँ जिसने
निर्धन निर्गत है धन जिससे मिठबोला मीठी है बोली जिसकी (वह पुरुष)
चौलड़ी चार है लड़ियाँ जिसमें (वह माला) चतुर्भुज चार है भुजाएँ जिसकी
दिगम्बर दिक् है अम्बर जिसका सहस्त्रकर सहस्त्र है कर जिसके
वज्रदेह वज्र है देह जिसकी लम्बोदर लम्बा है उदर जिसका
दशमुख दश है मुख जिसके गोपाल वह जो, गौ का पालन करे
घनश्याम वह जो घन के समान श्याम है अर्थात श्रीकृष्ण पंचपात्र पाँच पात्रों का समाहार
गिरिधर गिरि(पर्वत)को धारण करने वाला अर्थात श्रीकृष्ण त्रिलोचन तीन है लोचन जिसके अर्थात शिव
कमलनयन कमल के समान है नयन जिसके अर्थात विष्णु चतुर्वेद चार वेदों का समाहार
गजानन गज के समान आनन (मुख) वाला अर्थात गणेश सतसई सात सौ का समाहार
चक्रधर चक्र धारण करने वाला अर्थात विष्णु चतुर्मुख चार है मुख जिसके,वह अर्थात ब्रह्मा
नीलकंठ नीला है जो कंठ अर्थात शिव पंचानन पाँच है आनन (मुँह) जिसके अर्थात वह देवता
बारहसिंगा बारह हैं सींग जिसके वह पशु महेश महान है जो ईश अर्थात शिव
लाठालाठी लाठी से लड़ाई सरसिज सर से जन्म लेने वाला
कपीश कपियों में है ईश जो- हनुमान खगेश खगों का ईश है जो वह गरुड़
गोपाल गो का पालन जो करे वह, श्रीकृष्ण चक्रपाणि चक्र हो पाणि (हाथ) में जिसके वह विष्णु
चतुरानन चार है आनन जिनको वह, ब्रह्मा जलज जल में उत्पन्न होता है वह कमल
जलज जल देता है जो वह बादल नीलाम्बर नीला अम्बर या नीला है अम्बर जिसका वह, बलराम
मुरलीधर मुरली को धरे रहे (पकड़े रहे) वह, श्रीकृष्ण वज्रायुध वज्र है आयुध जिसका वह, इन्द्र
व्यधिकरणबहुव्रीहि
पद विग्रह पद विग्रह
शूलपाणि शूल है पाणि में जिसके चन्द्रभाल चन्द्र है भाल पर जिसके
वीणापाणि वीणा है पाणि में जिसके चन्द्रवदन चन्द्र है वदन पर जिसके
तुल्ययोग या सहबहुव्रीहि
पद विग्रह पद विग्रह
सबल बल के साथ है जो सपरिवार परिवार के साथ है जो
सदेह देह के साथ है जो सचेत चेत (चेतना) के साथ है जो
व्यतिहारबहुव्रीहि
पद विग्रह पद विग्रह
मुक्कामुक्की मुक्के-मुक्के से जो लड़ाई हुई लाठालाठी लाठी-लाठी से जो लड़ाई हुई
डण्डाडण्डी डण्डे-डण्डे से जो लड़ाई हुई
प्रादिबहुव्रीहि
पद विग्रह पद विग्रह
बेरहम नहीं है रहम जिसमें निर्जन नहीं है जन जहाँ
द्वन्द्व (इतरेतरद्वन्द्व)
पद विग्रह पद विग्रह
धर्माधर्म धर्म और अधर्म भलाबुरा भला और बुरा
गौरी-शंकर गौरी और शंकर सीता-राम सीता और राम
लेनदेन लेन और देन देवासुर देव और असुर
शिव-पार्वती शिव और पार्वती पापपुण्य पाप और पुण्य
देश-विदेश देश और विदेश भाई-बहन भाई और बहन
हरि-शंकर हरि और शंकर धनुर्बाण धनुष और बाणा
अन्नजल अन्न और जल आटा-दाल आटा और दाल
ऊँच-नीच ऊँच और नीच गंगा-यमुना गंगा और यमुना
दूध-दही दूध और दही जीवन-मरण जीवन और मरण
पति-पत्नी पति और पत्नी बच्चे-बूढ़े बच्चे और बूढ़े
माता-पिता माता और पिता राजा-प्रजा राजा और प्रजा
राजा-रानी राजा और रानी सुख-दुःख सुख और दुःख
अपना-पराया अपना और पराया गुण-दोष गुण और दोष
नर-नारी नर और नारी पृथ्वी-आकाश पृथ्वी और आकाश
बाप-दादा बाप और दादा यश-अपयश यश और अपयश
हार-जीत हार और जीत ऊपर-नीचे ऊपर और नीचे
शीतोष्ण शीत और उष्ण इकतीस एक और तीस
दम्पति जाया-पति राग-द्वेष राग और द्वेष
लाभालाभ लाभ और अलाभ राधा-कृष्ण राधा और कृष्ण
लोटा-डोरी लोटा और डोरी गाड़ी-घोड़ा गाड़ी और घोड़ा
भात-दाल भात और दाल
समाहारद्वन्द्व
पद विग्रह पद विग्रह
रुपया-पैसा रुपया-पैसा वगैरह घर-आँगन घर-आँगन वगैरह (परिवार)
घर-द्वार घर-द्वार वगैरह (परिवार) नाक-कान नाक-कान वगैरह
नहाया-धोया नहाया और धोया आदि कपड़ा-लत्ता कपड़ा-लत्ता वगैरह
वैकल्पिकद्वन्द्व
पद विग्रह पद विग्रह
पाप-पुण्य पाप या पुण्य भला-बुरा भला या बुरा
लाभालाभ लाभ या अलाभ धर्माधर्म धर्म या अधर्म
थोड़ा-बहुत थोड़ा या बहुत ठण्डा-गरम ठण्डा या गरम
नञ समास
पद विग्रह पद विग्रह
अनाचार न आचार नास्तिक न आस्तिक
अनदेखा न देखा हुआ अनुचित न उचित
अन्याय न न्याय अज्ञान न ज्ञान
अनभिज्ञ न अभिज्ञ अद्वितीय जिसके समान दूसरा न हो
नालायक नहीं लायक अगोचर न गोचर
अचल न चल अजन्मा न जन्मा
अधर्म न धर्म अनन्त न अन्त
अनेक न एक अनपढ़ न पढ़
अपवित्र न पवित्र अलौकिक न लौकिक
हिन्दी व्याकरण
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