(7) हस्व स्वर के बाद 'छ' हो, तो 'छ' के पहले 'च्' जुड़ जाता है। दीर्घ स्वर के बाद 'छ' होने पर यह विकल्प से होता है।
दूसरे शब्दों में- यदि किसी भी स्वर वर्ण के बाद ‘छ’ हो तो वह ‘च्छ’ हो जाता है।
जैसे-
कोई स्वर+छ = च्छ
परि+छेद =परिच्छेद शाला +छादन =शालाच्छादन
अनु+छेद = अनुच्छेद वि+छेद = विच्छेद
तरु+छाया = तरुच्छाया स्व+छन्द = स्वच्छन्द
आ+छादन = आच्छादन वृक्ष+छाया = वृक्षच्छाया
(8) यदि ‘त्’ या ‘द्’ के बाद ‘श्’ हो तो ‘त् या द्’ का ‘च्’ और ‘श्’ का ‘छ्’ हो जाता है। जैसे–
त्/द्+श् = च्छ
उत्+श्वास = उच्छ्वास तत्+शिव = तच्छिव
उत्+शिष्ट = उच्छिष्ट मृद्+शकटिक = मृच्छकटिक
सत्+शास्त्र = सच्छास्त्र तत्+शंकर = तच्छंकर
उत्+शृंखल = उच्छृंखल
(9) यदि ‘त्’ के बाद ‘स्’ (हलन्त) हो तो ‘स्’ का लोप हो जाता है। जैसे–
उत्+स्थान = उत्थान उत्+स्थित = उत्थित
(10) यदि ‘म्’ के बाद ‘क्’ से ‘भ्’ तक का कोई भी स्पर्श व्यंजन हो तो ‘म्’ का अनुस्वार हो जाता है, या उसी वर्ग का पाँचवाँ अनुनासिक वर्ण बन जाता है। जैसे–
म्+कोई व्यंजन = म् के स्थान पर अनुस्वार (ं ) या उसी वर्ग का पंचम वर्ण
सम्+चार = संचार/सञ्चार सम्+कल्प = संकल्प/सङ्कल्प
सम्+ध्या = संध्या/सन्ध्या सम्+भव = संभव/सम्भव
सम्+पूर्ण = संपूर्ण/सम्पूर्ण सम्+जीवनी = संजीवनी
सम्+तोष = संतोष/सन्तोष किम्+कर = किँकर/किङ्कर
सम्+बन्ध = संबन्ध/सम्बन्ध सम्+धि = संधि/सन्धि
सम्+गति = संगति/सङ्गति सम्+चय = संचय/सञ्चय
परम्+तु = परन्तु/परंतु दम्+ड = दण्ड/दंड
दिवम्+गत = दिवंगत अलम्+कार = अलंकार
शुभम्+कर = शुभंकर सम्+कलन = संकलन
सम्+घनन = संघनन पम्+चम् = पंचम
सम्+तुष्ट = संतुष्ट/सन्तुष्ट सम्+दिग्ध = संदिग्ध/सन्दिग्ध
अम्+ड = अण्ड/अंड सम्+तति = संतति
सम्+क्षेप = संक्षेप अम्+क = अंक/अङ्क
हृदयम्+गम = हृदयंगम सम्+गठन = संगठन/सङ्गठन
सम्+जय = संजय सम्+ज्ञा = संज्ञा
सम्+क्रांति = संक्रान्ति सम्+देश = संदेश/सन्देश
सम्+चित = संचित/सञ्चित किम्+तु = किँतु/किन्तु
वसुम्+धर = वसुन्धरा/वसुंधरा सम्+भाषण = संभाषण
तीर्थँम्+कर = तीर्थँकर सम्+कर = संकर
सम्+घटन = संघटन किम्+चित = किँचित
धनम्+जय = धनंजय/धनञ्जय सम्+देह = सन्देह/संदेह
सम्+न्यासी = संन्यासी सम्+निकट = सन्निकट
(11) यदि ‘म्’ के बाद ‘म’ आये तो ‘म्’ अपरिवर्तित रहता है। जैसे–
म्+म = म्म
सम्+मति = सम्मति सम्+मिश्रण = सम्मिश्रण
सम्+मिलित = सम्मिलित सम्+मान = सम्मान
सम्+मोहन = सम्मोहन सम्+मानित = सम्मानित
सम्+मुख = सम्मुख
(12) यदि ‘म्’ के बाद य, र, ल, व, श, ष, स, ह मेँ से कोई वर्ण आये तो ‘म्’ के स्थान पर अनुस्वार (ं ) हो जाता है। जैसे–
म्+य, र, ल, व, श, ष, स, ह = अनुस्वार (ं )
सम्+योग = संयोग सम्+वाद = संवाद
सम्+हार = संहार सम्+लग्न = संलग्न
सम्+रक्षण = संरक्षण सम्+शय = संशय
किम्+वा = किँवा सम्+विधान = संविधान
सम्+शोधन = संशोधन सम्+रक्षा = संरक्षा
सम्+सार = संसार सम्+रक्षक = संरक्षक
सम्+युक्त = संयुक्त सम्+स्मरण = संस्मरण
स्वयम्+वर = स्वयंवर सम्+हित = संहिता
(13) यदि ‘स’ से पहले अ या आ से भिन्न कोई स्वर हो तो स का ‘ष’ हो जाता है। जैसे–
अ, आ से भिन्न स्वर+स = स के स्थान पर ष
वि+सम = विषम नि+सेध = निषेध
नि+सिद्ध = निषिद्ध अभि+सेक = अभिषेक
परि+सद् = परिषद् नि+स्नात = निष्णात
अभि+सिक्त = अभिषिक्त सु+सुप्ति = सुषुप्ति
उपनि+सद = उपनिषद
अपवाद–
अनु+सरण = अनुसरण अनु+स्वार = अनुस्वार
वि+स्मरण = विस्मरण वि+सर्ग = विसर्ग
(14) यदि ‘ष्’ के बाद ‘त’ या ‘थ’ हो तो ‘ष्’ आधा वर्ण तथा ‘त’ के स्थान पर ‘ट’ और ‘थ’ के स्थान पर ‘ठ’ हो जाता है। जैसे–
ष्+त/थ = ष्ट/ष्ठ
आकृष्+त = आकृष्ट उत्कृष्+त = उत्कृष्ट
तुष्+त = तुष्ट सृष्+ति = सृष्टि
षष्+थ = षष्ठ पृष्+थ = पृष्ठ
(15) यदि ‘द्’ के बाद क, त, थ, प या स आये तो ‘द्’ का ‘त्’ हो जाता है। जैसे–
द्+क, त, थ, प, स = द् की जगह त्
उद्+कोच = उत्कोच मृद्+तिका = मृत्तिका
विपद्+ति = विपत्ति आपद्+ति = आपत्ति
तद्+पर = तत्पर संसद्+सत्र = संसत्सत्र
संसद्+सदस्य = संसत्सदस्य उपनिषद्+काल = उपनिषत्काल
उद्+तर = उत्तर तद्+क्षण = तत्क्षण
विपद्+काल = विपत्काल शरद्+काल = शरत्काल
मृद्+पात्र = मृत्पात्र
(16) यदि ‘ऋ’ और ‘द्’ के बाद ‘म’ आये तो ‘द्’ का ‘ण्’ बन जाता है। जैसे–
ऋद्+म = ण्म
मृद्+मय = मृण्मय मृद्+मूर्ति = मृण्मूर्ति
(17) यदि इ, ऋ, र, ष के बाद स्वर, कवर्ग, पवर्ग, अनुस्वार, य, व, ह मेँ से किसी वर्ण के बाद ‘न’ आ जाये तो ‘न’ का ‘ण’ हो जाता है। जैसे–
(i) इ/ऋ/र/ष+ न= न के स्थान पर ण
(ii) इ/ऋ/र/ष+स्वर/क वर्ग/प वर्ग/अनुस्वार/य, व, ह+न = न के स्थान पर ण
प्र+मान = प्रमाण भर+न = भरण
नार+अयन = नारायण परि+मान = परिमाण
परि+नाम = परिणाम प्र+यान = प्रयाण
तर+न = तरण शोष्+अन् = शोषण
परि+नत = परिणत पोष्+अन् = पोषण
विष्+नु = विष्णु राम+अयन = रामायण
भूष्+अन = भूषण ऋ+न = ऋण
मर+न = मरण पुरा+न = पुराण
हर+न = हरण तृष्+ना = तृष्णा
तृ+न = तृण प्र+न = प्रण
(18) यदि सम् के बाद कृत, कृति, करण, कार आदि मेँ से कोई शब्द आये तो म् का अनुस्वार बन जाता है एवं स् का आगमन हो जाता है। जैसे–
सम्+कृत = संस्कृत सम्+कृति = संस्कृति
सम्+करण = संस्करण सम्+कार = संस्कार
(19) यदि परि के बाद कृत, कार, कृति, करण आदि मेँ से कोई शब्द आये तो संधि मेँ ‘परि’ के बाद ‘ष्’ का आगम हो जाता है। जैसे–
परि+कार = परिष्कार परि+कृत = परिष्कृत
परि+करण = परिष्करण परि+कृति = परिष्कृति
(3) विसर्ग संधि ( Combination Of Visarga ) :- विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन मेल से जो विकार होता है, उसे 'विसर्ग संधि' कहते है।
दूसरे शब्दों में - स्वर और व्यंजन के मेल से विसर्ग में जो विसर्ग होता है, उसे 'विसर्ग संधि' कहते है।
कुछ नियम इस प्रकार हैं-
(1) यदि विसर्ग के पहले 'अ' आये और उसके बाद वर्ग का तृतीय, चतुर्थ या पंचम वर्ण आये या य, र, ल, व, ह रहे तो विसर्ग का 'उ' हो जाता है और यह 'उ' पूर्ववर्ती 'अ' से मिलकर गुणसन्धि द्वारा 'ओ' हो जाता है। जैसे-
अः+ किसी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ वर्ण, य, र, ल, व = अः का ओ
मनः +रथ =मनोरथ सरः +ज =सरोज
मनः +भाव =मनोभाव पयः +द =पयोद
मनः +विकार = मनोविकार पयः+धर =पयोधर
मनः+हर =मनोहर वयः+वृद्ध =वयोवृद्ध
यशः+धरा =यशोधरा सरः+वर =सरोवर
तेजः+मय =तेजोमय यशः+दा =यशोदा
पुरः+हित =पुरोहित मनः+योग =मनोयोग
मनः+वेग = मनोवेग मनः+अभिलाषा = मनोभिलाषा
मनः+अनुभूति = मनोभूति पयः+निधि = पयोनिधि
यशः+अभिलाषा = यशोभिलाषा मनः+बल = मनोबल
मनः+रंजन = मनोरंजन तपः+बल = तपोबल
तपः+भूमि = तपोभूमि मनः+नयन = मनोनयन
तपः+धन = तपोधन उरः+ज = उरोज
शिरः+भाग = शिरोभाग मनः+व्यथा = मनोव्यथा
मनः+नीत = मनोनीत तमः+गुण = तमोगुण
पुरः+गामी = पुरोगामी रजः+गुण = रजोगुण
अधः+गति = अधोगति यशः+गान = यशोगान
मनः+ज = मनोज मनः+विज्ञान = मनोविज्ञान
मनः+दशा = मनोदशा
(2) यदि विसर्ग के पहले ‘इ’ या ‘उ’ आये और विसर्ग के बाद का वर्ण क, ख, प, फ हो, तो विसर्ग का ष् हो जाता है। जैसे-
इः/उः+क/ख/प/फ = ष्
निः+कपट = निष्कपट दुः+कर्म = दुष्कर्म
निः+काम = निष्काम दुः+कर = दुष्कर
बहिः+कृत = बहिष्कृत चतुः+कोण = चतुष्कोण
निः+प्रभ = निष्प्रभ निः+फल = निष्फल
निः+पाप = निष्पाप दुः+प्रकृति = दुष्प्रकृति
दुः+परिणाम = दुष्परिणाम चतुः+पद = चतुष्पद
(3) यदि विसर्ग के पहले 'अ' हो और परे क, ख, प, फ मे से कोइ वर्ण हो, तो विसर्ग ज्यों-का-त्यों रहता है। जैसे-
अः+क/ख/प/फ = (:) का लोप नहीँ
अन्तः+करण = अन्तःकरण अधः+पतन = अधःपतन
मनः+कामना = मनःकामना प्रातः+काल =प्रातःकाल
पयः+पान =पयःपान
(4) यदि 'इ' - 'उ' के बाद विसर्ग हो और इसके बाद 'र' आये, तो 'इ' - 'उ' का 'ई' - 'ऊ' हो जाता है और विसर्ग लुप्त हो जाता है। जैसे-
निः+रव =नीरव निः +रस =नीरस
निः +रोग =नीरोग दुः+राज =दूराज
(5) यदि विसर्ग के पहले 'अ' और 'आ' को छोड़कर कोई दूसरा स्वर आये और विसर्ग के बाद कोई स्वर हो या किसी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ या पंचम वर्ण हो या य, र, ल, व, ह हो, तो विसर्ग के स्थान में 'र्' हो जाता है। जैसे-
अ, आ से भिन्न स्वर+वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ वर्ण/य, र, ल, व, ह = (:) का ‘र्
निः+उपाय =निरुपाय निः+झर =निर्झर
निः+जल =निर्जल निः+धन =निर्धन
दुः+गन्ध =दुर्गन्ध निः +गुण =निर्गुण
निः+विकार =निर्विकार दुः+आत्मा =दुरात्मा
दुः+नीति =दुर्नीति निः+मल =निर्मल
दुः+बल = दुर्बल पुनः+आगमन = पुनरागमन
आशीः+वाद = आशीर्वाद निः+मल = निर्मल
दुः+गुण = दुर्गुण आयुः+वेद = आयुर्वेद
बहिः+रंग = बहिरंग दुः+उपयोग = दुरुपयोग
निः+बल = निर्बल बहिः+मुख = बहिर्मुख
दुः+ग = दुर्ग प्रादुः+भाव = प्रादुर्भाव
निः+आशा = निराशा निः+अर्थक = निरर्थक
निः+यात = निर्यात दुः+आशा = दुराशा
निः+उत्साह = निरुत्साह आविः+भाव = आविर्भाव
आशीः+वचन = आशीर्वचन निः+आहार = निराहार
निः+आधार = निराधार निः+भय = निर्भय
निः+आमिष = निरामिष निः+विघ्न = निर्विघ्न
धनुः+धर = धनुर्धर
(6) यदि विसर्ग के बाद 'च-छ-श' हो तो विसर्ग का 'श्', 'ट-ठ-ष' हो तो 'ष्' और ' क -त-थ-स' हो तो 'स्' हो जाता है। जैसे-
निः+सार =निस्सार निः+शेष =निश्शेष
विसर्ग (:)+च/छ = श् विसर्ग (:)+च/छ = श्
निः+चय=निश्रय निः+छल =निश्छल
निः+चय = निश्चय निः+चिन्त = निश्चिन्त
दुः+चरित्र = दुश्चरित्र हयिः+चन्द्र = हरिश्चन्द्र
पुरः+चरण = पुरश्चरण तपः+चर्या = तपश्चर्या
कः+चित् = कश्चित् मनः+चिकित्सा = मनश्चिकित्सा
निः+चल = निश्चल दुः+चक्र = दुश्चक्र
पुनः+चर्या = पुनश्चर्या अः+चर्य = आश्चर्य
विसर्ग(:)+ट/ठ = ष्
धनुः+टंकार = धनुष्टंकार निः+ष्ठीव =निष्ष्ठीव
निः+ठुर = निष्ठुर
विसर्ग(:)+त/थ = स्
मनः+ताप = मनस्ताप दुः+तर = दुस्तर
निः+तेज = निस्तेज निः+तार = निस्तार
नमः+ते = नमस्ते
अः/आः+क = स्
भाः+कर = भास्कर पुरः+कृत = पुरस्कृत
नमः+कार = नमस्कार तिरः+कार = तिरस्कार
(7) यदि विसर्ग के आगे-पीछे 'अ' हो तो पहला 'अ' और विसर्ग मिलकर 'ओ' हो जाता है और विसर्ग के बादवाले 'अ' का लोप होता है तथा उसके स्थान पर लुप्ताकार का चिह्न (ऽ) लगा दिया जाता है।
दूसरे शब्दों में- यदि विसर्ग से पहले और बाद मेँ ‘अ’ हो, तो पहला ‘अ’ और विसर्ग मिलकर ‘ओ’ या ‘ओऽ’ हो जाता है तथा बाद के ‘अ’ का लोप हो जाता है।
अः+अ = ओऽ/ओ
प्रथमः +अध्याय =प्रथमोऽध्याय मनः+अभिलषित =मनोऽभिलषित
यशः+अभिलाषी= यशोऽभिलाषी यशः+अर्थी = यशोऽर्थी/यशोर्थी
मनः+अनुकूल = मनोऽनुकूल/मनोनुकूल प्रथमः+अध्याय = प्रथमोऽध्याय/प्रथमोध्याय
मनः+अभिराम = मनोऽभिराम/मनोभिराम परः+अक्ष = परोक्ष
(8) यदि विसर्ग के बाद श, ष, स हो तो विसर्ग ज्योँ के त्योँ रह जाते हैँ या विसर्ग का स्वरूप बाद वाले वर्ण जैसा हो जाता है। जैसे–
विसर्ग+श/ष/स = (:) या श्श/ष्ष/स्स
निः+शुल्क = निःशुल्क/निश्शुल्क दुः+शासन = दुःशासन/दुश्शासन
यशः+शरीर = यशःशरीर/यश्शरीर निः+सन्देह = निःसन्देह/निस्सन्देह
निः+सन्तान = निःसन्तान/निस्सन्तान निः+संकोच = निःसंकोच/निस्संकोच
दुः+साहस = दुःसाहस/दुस्साहस दुः+सह = दुःसह/दुस्सह
(9) यदि ‘अ’ के बाद विसर्ग हो और उसके बाद ‘अ’ से भिन्न कोई स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है और पास आये स्वरोँ मेँ संधि नहीँ होती है। जैसे–
अः+अ से भिन्न स्वर = विसर्ग का लोप
अतः+एव = अत एव पयः+ओदन = पय ओदन
रजः+उद्गम = रज उद्गम यशः+इच्छा = यश इच्छा
हिन्दी भाषा की अन्य संधियाँ
हिन्दी की कुछ विशेष सन्धियाँ भी हैँ। इनमेँ स्वरोँ का दीर्घ का हृस्व होना और हृस्व का दीर्घ हो जाना, स्वर का आगम या लोप हो जाना आदि मुख्य हैँ। इसमेँ व्यंजनोँ का परिवर्तन प्रायः अत्यल्प होता है। उपसर्ग या प्रत्ययोँ से भी इस तरह की संधियाँ हो जाती हैँ। ये अन्य संधियाँ निम्न प्रकार हैँ–
1. हृस्वीकरण–
(क) आदि हृस्व– इसमेँ संधि के कारण पहला दीर्घ स्वर हृस्व हो जाता है। जैसे –
घोड़ा+सवार = घुड़सवार घोड़ा+चढ़ी = घुड़चढ़ी
दूध+मुँहा = दुधमुँहा कान+कटा = कनकटा
काठ+फोड़ा = कठफोड़ा काठ+पुतली = कठपुतली
मोटा+पा = मुटापा छोटा+भैया = छुटभैया
लोटा+इया = लुटिया मूँछ+कटा = मुँछकटा
आधा+खिला = अधखिला काला+मुँहा = कलमुँहा
ठाकुर+आइन = ठकुराइन लकड़ी+हारा = लकड़हारा
(ख) उभयपद हृस्व– दोनोँ पदोँ के दीर्घ स्वर हृस्व हो जाता है। जैसे –
एक+साठ = इकसठ काट+खाना = कटखाना
पानी+घाट = पनघट ऊँचा+नीचा = ऊँचनीच
लेना+देना = लेनदेन
2. दीर्घीकरण–
इसमेँ संधि के कारण हृस्व स्वर दीर्घ हो जाता है और पद का कोई अंश लुप्त भी हो जाता है। जैसे–
दीन+नाथ = दीनानाथ ताल+मिलाना = तालमेल
मूसल+धार = मूसलाधार आना+जाना = आवाजाही
व्यवहार+इक = व्यावहारिक उत्तर+खंड = उत्तराखंड
लिखना+पढ़ना = लिखापढ़ी हिलना+मिलना = हेलमेल
मिलना+जुलना = मेलजोल प्रयोग+इक = प्रायोगिक
स्वस्थ+य = स्वास्थ्य वेद+इक = वैदिक
नीति+इक = नैतिक योग+इक = यौगिक
भूत+इक = भौतिक कुंती+एय = कौँतेय
वसुदेव+अ = वासुदेव दिति+य = दैत्य
देव+इक = दैविक सुंदर+य = सौँदर्य
पृथक+य = पार्थक्य
3. स्वरलोप–
इसमेँ संधि के कारण कोई स्वर लुप्त हो जाता है। जैसे – बकरा+ईद = बकरीद।
4. व्यंजन लोप–
इसमेँ कोई व्यंजन सन्धि के कारण लुप्त हो जाता है।
(क) ‘स’ या ‘ह’ के बाद ‘ह्’ होने पर ‘ह्’ का लोप हो जाता है। जैसे–
इस+ही = इसी उस+ही = उसी
यह+ही = यही वह+ही = वही
(ख) ‘हाँ’ के बाद ‘ह’ होने पर ‘हाँ’ का लोप हो जाता है तथा बने हुए शब्द के अन्त मेँ अनुस्वार लगता है। जैसे–
यहाँ+ही = यहीँ वहाँ+ही = वहीँ कहाँ+ही = कहीँ
(ग) ‘ब’ के बाद ‘ह्’ होने पर ‘ब’ का ‘भ’ हो जाता है और ‘ह्’ का लोप हो जाता है। जैसे–
अब+ही = अभी तब+ही = तभी
कब+ही = कभी सब+ही = सभी
5. आगम संधि–
इसमेँ सन्धि के कारण कोई नया वर्ण बीच मेँ आ जुड़ता है। जैसे–
खा+आ = खाया रो+आ = रोया
ले+आ = लिया पी+ए = पीजिए
ले+ए = लीजिए आ+ए = आइए।
संधि विच्छेद की परिभाषा -
संधि में पदों को मूल रूप में पृथक कर देना संधि विच्छेद है। जैसे- धनादेश = धन + आदेश
यहाँ पर कुछ प्रचलित संधि विच्छेदों को दिया जा रहा है, जो की विद्यार्थियों के बड़े काम आएगी।
(अ, आ)
अल्पायु = अल्प + आयु अनावृष्टि = अन + आवृष्टि अत्यधिक = अति + अधिक अखिलेश्वर = अखि + ईश्वर
आत्मोत्सर्ग= आत्मा + उत्सर्ग अत्यावश्यक = अति + आवश्यक अत्युष्म =अति +उष्म अन्वय=अनु +अय
अन्याय =अ+नि +आय अभ्युदय=अभि +उदय अविष्कार=आविः +कार अन्वेषण=अनु +एषण
आशीर्वाद =आशीः+वाद अत्याचार=अति+आचार अहंकार =अहम् +कार अन्वित=अनु+अय+इत
अभ्यागत =अभि +आगत अम्मय =अप्+मय अभीष्ट =अभि+इष्ट अरण्याच्छादित=अरण्य+आच्छादित
अत्यन्त =अति+अन्त अत्राभाव =अत्र+अभाव आच्छादन =आ+छादन अधीश्र्वर =अधि+ईश्र्वर
अधोगति =अधः+गति अन्तर्निहित =अन्तः+निहित अब्ज =अप्+ज आकृष्ट =आकृष्+त
आद्यन्त =आदि+अन्त अन्तःपुर =अन्तः+पुर अन्योन्याश्रय =अन्य+अन्य+आश्रय अन्यान्य =अन्य+अन्य
अहर्निश =अहः+निश अजन्त =अच्+अन्त आत्मोत्सर्ग =आत्म+उत्सर्ग अत्युत्तम= अति +उत्तम
अंतःकरण= अंतः + करण अन्तनिर्हित= अन्तः + निहित अन्तर्गत= अन्तः + गत अन्तस्तल = अंतः + तल
अन्तर्धान= अन्तः + धान अन्योक्ति= अन्य + उक्ति अनायास= अन् + आयास अधपका= आधा + पका
अनुचित= अन् + उचित अनूप= अन् + ऊप अनुपमेय= अन् + उपमेय अन्तर्राष्ट्रीय= अन्तः + राष्ट्रीय
अनंग= अन् + अंग अनन्त= अन् + अंत अनन्य= अन् + अन्य अतएव= अतः + एव
अध्याय= अधि + आय अध्ययन= अधि + अयन अधीश= अधि + ईश अधीश्वर= अधि + ईश्वर
अधिकांश= अधिक + अंश अधरोष्ठ= अधर + ओष्ठ अवच्छेद= अव + छेद अभ्यस्त= अभि + अस्त
अभ्यागत= अभि + आगत अभिषेक= अभि + सेक अभीष्ट= अभि + इष्ट अम्मय= अप् + मय
अस्तित्व= अस्ति + त्व अहर्मुख= अहर + मुख अहोरूप= अहः + रूप अज्ञानांधकार= अज्ञान + अंधकार
आश्चर्य= आ + चर्य आशोन्मुख= आशा + उन्मुख आत्मावलम्बन= आत्मा + अवलम्बन आध्यात्मिक= आधि + आत्मिक
( इ, ई, उ, ऊ, ए,)
इत्यादि = इति + आदि इतस्ततः= इतः + ततः ईश्र्वरेच्छा =ईश्र्वर+इच्छा उन्मत्त =उत् +मत्त
उपर्युक्त =उपरि +उक्त उन्माद =उत् +माद उपेक्षा =उप+ईक्षा उच्चारण=उत् +चारण
उल्लास =उत् +लास उज्ज्वल =उत् +ज्वल उद्धार =उत् +हार उदय =उत् +अय
उदभव=उत् +भव उल्लेख =उत् +लेख उत्रति =उत्+नति उन्मूलित =उत्+मूलित
उल्लंघन=उत्+लंघन उद्याम =उत्+दाम उच्छ्वास =उत्+श्र्वास उत्रायक =उत्+नायक
उन्मत्त=उत्+मत्त उत्रयन =उत्+नयन उद्धत =उत्+हत उपदेशान्तर्गत =उपदेश+अन्तर्गत
उन्मीलित =उत्+मीलित उद्योग=उत्+योग उड्डयन =उत्+डयन उद्घाटन = उत्+घाटन
उच्छित्र =उत्+छित्र उच्छिष्ट =उत्+शिष्ट उत्कृष्ट=उत्कृष् + त उद्यान= उत् + यान
उत्तमोत्तम= उत्तम + उत्तम उतेजना= उत् + तेजना उत्तरोत्तर= उत्तर + उत्तर उदयोन्मुख= उदय + उन्मुख
उद्वेग= उत् + वेग उद्देश्य= उत् + देश्य उद्धरण= उत् + हरण उदाहरण= उत् + आहरण
उद्गम=उत् +गम उद्भाषित= उत् + भाषित उन्नायक= उत् + नायक उपास्य= उप + आस्य
उपर्युक्त= उपरि + उक्त उपयोगिता= उप + योगिता उपनिदेशक= उप + देशक उपाधि= उप + आधि
उपासना= उप + आसना ऊहापोह= ऊह + अपोह उपदेशान्तर्गत= उपदेश + अन्तः + गत एकाकार= एक + आकार
एकाध= एक +आध एकासन= एक + आसन एकोनविंश= एक + उनविंश एकान्त= एक + अंत
एकैक=एक+एक कृदन्त=कृत् +अन्त
(क, ग, घ ) (च, छ, ज )
कल्पान्त =कल्प+अन्त कुर्मावतार= कूर्म + अवतार क्रोधाग्नि= क्रोध + अग्नि कालांतर = काल + अंतर
कित्रर =किम्+नर किंचित् = किम्+चित कंठोष्ठय= कंठ + ओष्ठ्य कपलेश्वर= कपिल + ईश्वर
कपीश= कपि + ईश कवीन्द्र= कवि + इन्द्र कवीश्वर= कवि + ईश्वर कपीश्वर= कपि + ईश्वर
किंवा= किम् + वा किन्तु= किम् + तु कूपोदक= कूप + उदक कुशाग्र= कुश + अग्र
कुशासन= कुश + आसन कुसुमायुध= कुसुम + आयुध कुठाराघात= कुठार + आघात कोणार्क= कोण + अर्क
क्रोधान्ध= क्रोध + अंध कोषाध्यक्ष= कोष + अध्यक्ष कौमी= कौम + ई कृतान्त= कृत + अंत
कीटाणु= कीट + अणु खगासन= खग + आसन खटमल= खाट + मल गवीश= गो + ईश
गणेश= गण + ईश गंगौघ= गंगा + ओघ गंगोदक= गंगा + उदक गंगैश्वर्य= गंगा + ऐश्वर्य
ग्रामोद्धार= ग्राम + उद्धार गायन= गै + अन गिरीन्द्र= गिरि + इन्द्र गुडाकेश= गुडाका + ईश
गुप्पचति= गुब + पचति गिरीश= गिरि + ईश गुरुत्वाकर्षण= गुरुत्व + आकर्षण गौरवान्वित= गौरव + अन्वित
घड़घड़ाहट= घड़घड़ + आहट घनानंद= घन + आनंद घुड़दौड़= घोड़ा + दौड़
चतुरानन= चतुर + आनन चतुर्भुज= चतुः + भुज चन्द्रोदय=चन्द्र+उदय चरणामृत=चरण+अमृत
चतुष्पाद= चतुः+पाद चयन=चे+अन चिकित्सालय=चिकित्सा+आलय चिन्मय=चित्+मय
चतुर्दिक= चतुः + दिक् चतुरंग= चतुः + अंग चूड़ान्त= चूड़ा + अंत चिन्ताक्रान्त= चिंता + आक्रान्त
छिद्रान्वेषी= छिद्र + अनु + एषी छुटपन= छोटा + पन छुटभैया= छोटा + भैया जगदीन्द्र= जगत् + इन्द्र
जगज्जय= जगत् + जय जगन्नियन्ता= जगत् + नियन्ता जगद्बन्धु= जगत् + बन्धु जनतैक्य= जनता + ऐक्य
जनतौत्सुक्य= जनता + औत्सुक्य ज्योतिर्मठ= ज्योतिः + मठ जलौघ= जल + ओघ जानकीश= जानकी + ईश
जागृतावस्था= जागृत + अवस्था जात्यभिमानी= जाति + अभिमानी जीवनानुकूल= जीवन + अनुकूल जीवनोपयोगी= जीवन + उपयोगी
जीवनोपार्जन= जीवन + उपार्जन जीविकार्थ= जीविका + अर्थ जीर्णोद्धार = जीर्ण + उद्धार जगदीश= जगत्+ईश
जलोर्मि= जल+ऊर्मि झड़बेरी= झाड़ + बेड़ झंडोत्तोलन= झंडा + उत्तोलन झगड़ालू= झगड़ा + आलू
(ट, ठ, ड, ढ़ )
टुकड़तोड़= टुकड़ा + तोड़ टुटपूँजिया= टूटी + पूँजी ठाढ़ेश्वरी= ठाढ़ा + ईश्वरी ठकुरसुहाती= ठाकुर + सुहाना
डंडपेल= डंड + पेलना डिठौना= डीठ + औना ढँढोरिया= ढँढोरा + इया ढकोसला= ढंक + कौशल
(त, थ)
तथैव =तथा +एव तृष्णा =तृष +ना तपोवन =तपः +वन तल्लीन=तत्+लीन
तपोभूमि=तपः +भूमि तेजोराशि=तेजः +राशि तिरस्कार=तिरः +कार तथापि =तथा +अपि
तेजोमय =तेजः +मय तथास्तु = तथा + अस्तु तमसावृत = तमसा + आवृत तेजोपुंज =तेजः+पुंज
तद्रूप =तत्+रूप तदाकार =तत्+आकार तद्धित =तत्+हित तद्रूप=तत्+रूप
तट्टीका=तत्+टीका तेनादिष्ट=तेन+अदिष्ट तज्जय= तत् + जय तच्छरण= तत् + शरण
तच्छरीर= तत् + शरीर तद्धवि= तत् + हवि तदिह= तत् + इह तदस्ति= तत् + अस्ति
तदाम्य= तत् + आत्म्य तन्मय= तत् + मय तत्त्व= तत् + त्व तल्लय= तत् + लय
तच्छिव= तत् + शिव त्वगिन्द्रय= त्वक + इन्द्रिय तिरस्कृत= तिरः + कृत तेऽपि= ते + अपि
तत्तनोति= तद + तनोति तृष्णा= तृष् + ना तेऽद्र= ते + अद्र तेजआभास= तेजः + आभास
तस्मिन्नारमे= तस्मिन + आरामे त्रिलोकेश्वर= त्रिलोक + ईश्वर तदुपरान्त= तत् + उपरान्त थनैला= थन + ऐला
थुक्काफजीहत= थूक + फजीहत
(द )
देवेन्द्र=देव +इन्द्र दुर्नीति=दुः +नीति दावानल=दाव+अनल दिग्गज=दिक् +गज
दुर्धर्ष=दुः +धर्ष दिग्भ्रम=दिक+भ्रम दुर्दिन=दुः+दिन दुर्वह=दुः+वह
देवर्षि=देव+ऋषि दुनीति=दुः +नीति दुर्ग=दुः +ग दुश्शासन =दुः +शासन
दिगम्बर =दिक् +अम्बर देवेश =देव +ईश दुःस्थल =दुः +स्थल दुस्तर =दुः +तर
देव्यागम=देवी +आगम दुष्कर =दुः +कर दुर्जन =दुः +जन दोषारोपण = दोष + आरोपण
देहांत =देह+अंत देवैश्र्वर्य=देव+ऐश्र्वर्य देवालय=देव+आलय दैव्यंग=देवी+अंग
दुष्परिणाम= दुः + परिणाम दुर्बलता= दुः + बलता दुर्घटना= दुः + घटना देशान्तर= देश + अंतर
देशाभिमान= देश + अभिमान देशानुराग= देश + अनुराग देवैश्वर्य= देव + ऐश्वर्य देवीच्छा= देवी + इच्छा
दैन्यावस्था= दैन्य + अवस्था दैन्यादि= दैन्य + आदि दृष्टि= दृष् + ति दृष्टान्त= दृष्ट + अंत
दन्त्योष्ठ्य= दन्त + ओष्ठ्य दिगन्त= दिक् + अंत दिनेश= दिन + ईश दिग्भाग= दिक् + भाग
दिग्हस्ती= दिक् + हस्ती दुर्लभ= दुः + लभ दुःखात्मक= दुख + आत्मक दुर्बल= दुः + बल
दुरन्त= दुः + अंत दुस्साहस= दुः + साहस दुरुप्रयोग= दुः + उपयोग दुष्कर्म= दुः + कर्म
दुःख= दुः + ख दुःखान्त= दुःख + अंत दुस्तर= दुः + तर दुर्निवार= दुः + निवार
( ध )
धनान्ध= धन + अन्ध धनुर्धर= धनुः + धर धनुष्टंकार= धनुः + टंकार धनित्व= धनिन + त्व
धर्मोपदेश= धर्म + उपदेश धर्माधिकारी= धर्म + अधिकारी ध्यानावस्थित= ध्यान + अवस्थित
(न)
नमस्कार=नमः +कार नाविक =नौ +इक निस्सन्देह =निः +सन्देह निराधार =निः +आधार
निस्सहाय=निः +सहाय निर्भर=निः +भर निष्कपट=निः +कपट नीरोग =निः +रोग
नयन =ने+अन निश्छल=निः +छल निरन्तर=निः +अन्तर निर्गुण =निः +गुण
नायक=नै +अक निस्सार =निः +सार निर्मल=निः +मल निस्तार =निः +तार
नीरव =निः +रव नरोत्तम = नर + उत्तम निम्नाकित= निम्न + अंकित नारीश्र्वर=नारी+ईश्र्वर
नागाधिराज= नाग + अधिराज नद्यूर्मि=नदी+उर्मि निश्र्चिन्त=निः+चिन्त निश्र्चय=निः+चय
निर्विकार=निः+विकार निरुपाय=निः+उपाय नद्यम्बु=नदी+अम्बु नदीश=नदी+ईश
निस्सृत=निः+सृत निरीक्षण =निः+ईक्षण निष्काम=निः+काम निरर्थक=निः+अर्थक
निष्प्राण=निः+प्राण निरुद्देश्य=निः+उद्देश्य निष्फल=निः+फल निर्जल=निः+जल
नारायण=नार+अयन न्यून=निः+ऊन निश्र्चल=निः+चल निरीह=निः+ईह
निषिद्ध=निः+सिद्ध निर्विवाद=निः+विवाद निर्झर=निः+झर निश्शब्द =निः+शब्द
निष्कारण=निः+कारण नीरव=निः+रव निस्संतान=निः+संतान नमस्ते=नमः+ते
नरेंद्र=नर+इंद्र निराशा=निः+आशा निराहार=निः+आहार नारींदु=नारी+इंदु
नवोऽकुंर= नव + अंकुर नरेश= नर + ईश नास्ति= न + अस्ति नवोढा= नव + उढ़ा
नष्ट= नष् + त न्यून= नि + ऊन नयनाभिराम= नयन + अभिराम नद्यर्पण= नदी + अर्पण
निष्पाप= निः + पाप निष्पक्ष= निः + पक्ष निस्तांर= निः + तार निर्धन= निः + धन
निर्माण= निः + मान निर्दोष= निः + दोष निस्तेज= निः +तेज निर्घोषित= निः + घोषित
निर्भीकता= निः + भीकता निरर्थ= निः + अर्थ निरौषध= निः + औषध निर्हस्त= निः + हस्त
निरिच्छा= निः + इच्छा निराशा= निः + आशा निश्छिद्र= निः + छिद्र निषिद्ध= निः + सिद्ध
निरन्तर= निः + अंतर निर्वासित= निः + वासित निरेफ= निः + रेफ निरन्ध्र= निः + रन्ध्र
निराधार= निः + आधार निरक्षर= निः + अक्षर निगमागम= निगम + आगम निर्जीव= निः + जीव
निर्बल= निः + बल निर्बलात्मा= निर्बल + आत्मा निर्दोष= निः + दोष निराकार= निः + आकार
निर्णय= निः + नय निर्भर= निः + भर निर्द्वन्द्व= निः + द्वन्द्व निश्चित= निः + चित
निश्चय= निः + चय निष्क्रिय= निः + क्रिय निर्विरोध= निः + विरोध न्यूनातिन्यून= न्यून + अति
नियमानुसार= नियम + अनुसार
(प)
परमार्थ =परम +अर्थ पीताम्बर =पीत +अम्बर परिणाम=परि+नाम प्रमाण=प्र+मान
पयोधि =पयः+धि पुस्तकालय = पुस्तक + आलय प्रधानाध्यापक=प्रधान+अध्यापक परोपकार = पर + उपकार
परमेश्र्वर = परम + ईश्र्वर पदोन्नति = पद + उन्नति प्रत्येक = प्रति + एक परमावश्यक= परम + आवश्यक
प्रत्यक्ष = प्रति + अक्ष प्रत्याघात = प्रति + अघात पुलकावली = पुलक + अवलि परन्तु =परम् +तु
पावक =पौ +अक पुरुषोत्तम=पुरुष +उत्तम पवन =पो +अन पुरस्कार=पुरः +कार
परीक्षा=परि+ईक्षा पयोद =पयः +द परमौजस्वी=परम+ओजस्वी पित्रादेश =पितृ+आदेश
पवित्र=पो+इत्र प्रत्यय=प्रति+अय पृष्ठ=पृष्+थ प्रातःकाल=प्रातः+काल
पृथ्वीश=पृथ्वी+ईश पावन=पौ+अन पंचम=पम्+चम प्रत्युत्तर=प्रति+उत्तर
पित्रिच्छा=पितृ+इच्छा पुनर्जन्म=पुनः+जन्म परिच्छेद=परि+छेद प्रांगण=प्र+अंगण
प्रतिच्छाया=प्रति+छाया प्रथमोऽध्यायः=प्रथमः+अध्यायः परमौषध=परम+औषध पुरुषोत्तम=पुरुष+उत्तम
पित्रनुमति=पितृ+अनुमति पुनरुक्ति=पुनः+उक्ति पश्र्वधम=पशु+अधम प्रोत्साहन=प्र+उत्साहन
पुरोहित = पुरः+हित परिष्कार=परिः+कार पुनर्जन्म= पुनर +जन्म परमैश्वर्य= परम + ऐश्वर्य
पच्छाक= पच + शाक पदाक्रान्त= पद + आक्रान्त परमाद्रि= परम + आद्रि पराधीन= पर + अधीन
परमाणु= परम + अणु परिच्छेद= परि + छेद पर्यान्त= परि + आप्त पश्वधम= पशु + अधम
पयोमन= पयः + मान पंचांग= पंच + अंग पितृऋण= पितृ + ऋण पित्रादि= पितृ + आदि
पितारक्ष= पितः + रक्ष पुरस्कृत= पुरः + कृत पुनरुक्ति= पुनः + उक्ति पुष्ट= पुष् + त
पुनरुत्थान= पुनः + उत्थान पुनर्रचना= पुनः + रचना प्रहार= प्र + हार प्रत्याचरण= प्रति + आचरण
प्रतीत= प्रति + इत प्रत्यारुयान= प्रति + आरुयान प्रजार्थ= प्रजा + अर्थ प्रत्यक्षात्मा= प्रत्यक्ष + आत्मा
प्रत्युपकार= प्रति + उपकार प्रत्युत्पन्न= प्रति + उत्पन्न प्रतिच्छवि= प्रति + छवि प्रलयंकर= प्रलयम + कर
प्रार्थना= प्र + अर्थना प्राणिमात्र= प्राणिन + मात्र प्राणेश्वर= प्राण + ईश्वर प्रोत्साह= प्र + उत्साह
प्रोज्ज्वल= प्र + उज्ज्वल प्रौढ़= प्र + उढ़
( फ, ब )
फलाहारी= फल + आहारी फलागम= फल + आगम बलात्कार= बलात् + कार बहिर्देश= बहिः + देश
बहिर्भाग= बहिः + भाग बिंबोष्ठय= बिंब + ओष्ठ्य बृहद्रथ= बृहत् + रथ ब्रह्मास्त्र= ब्रह्म + अस्त्र
ब्रह्मानन्द= ब्रह्म + आनन्द ब्रह्मर्षि= ब्रह्म + ऋषि बहिर्मुख= बहिः + मुख बहिष्कार= बहिः + कार
(भ)
भवन =भो +अन भोजनालय =भोजन +आलय भानूदय=भानु+उदय भाग्योदय =भाग्य +उदय
भावुक=भौ+उक भूषण=भूष्+अन भूष्मा=भू+ऊष्मा भूत्तम=भू+उत्तम
भगवद्गीता= भगवत् + गीता भरण= भर + अन भारतेन्दु= भारत + इन्दु भाविनी= भौ + इनी
भास्कर= भाः + कर भास्पति= भाः + पति भावोन्मेष= भाव + उन्मेष भिन्न= भिद् + न
भूर्जित= भू + उर्जित भूदार= भू + उदार भगवद्भक्ति= भगवत् + भक्ति भविष्यद्वाणी= भविष्यत् + वाणी
(म )
मुनीन्द्र=मुनि+इन्द्र महीन्द्र=मही +इन्द्र मृण्मय=मृत्+मय मातृण=मातृ+ऋण
महोर्मि=महा+ऊर्मि मतैक्य=मत+ऐक्य महौज=महा+ओज मन्वन्तर=मनु+अन्तर
महार्णव=महा+अर्णव मनोयोग=मनः+योग महौषध=महा+औषध मध्वासव=मधु+आसव
मृगेन्द्र=मृग+इन्द्र मनोऽनुकूल=मनः+अनुकूल महेश्र्वर=महा+ईश्र्वर महेन्द्र=महा+इन्द्र
महामात्य= महा + अमात्य मंगलाकार= मंगल + आकार मत्स्याकार = मत्स्य + आकार मध्यावकाश = मध्य + अवकाश
महोदय= महा + उदय मतानुसार= मत + अनुसार महर्षि= महा + ऋषि महोत्सव= महा + उत्सव
मरणोत्तर = मरण+उत्तर मदांध= मद+अंध महत्वाकांक्षा= महत्व+आकांक्षा मनोगत= मनः+गत
महेश= महा+ईश मनोविकार= मनः+विकार महाशय= महा+आशय मनोज= मनः+ज
मनोरथ=मनः +रथ मनोहर= मनः+हर मनोभाव= मनः+भाव महर्षि= महा+ऋषि
महैश्र्वर्य= महा+ऐश्र्वर्य मनोबल= मनः+बल मकराकृत= मकर + आकृत मतैक्ता= मत + एकता
मनस्पात= मनः + ताप मनोरंजन= मनः + रंजन मनोवैज्ञानिक= मनः + वैज्ञानिक मनोऽनुसार= मनः + अनुसार
मनोनीत= मनः + नीत मनोऽवधान= मनः + अवधान महच्छत्र= महत् + छत्र महात्मा= महा + आत्मा
महत्व= महत् + त्व महदोज= महत् + ओज महीश्वर= मही + ईश्वर महालाभ= महान + लाभ
महोरु= महा + ऊरु महौज= महा + ओज महौदार्य= महा + औदार्य महौषधि= महा + औषधि
मायाधीन= माया + अधीन मातृऋण= मातृ + ऋण मात्रानन्द= मातृ + आनन्द मुनीश्वर= मुनि + ईश्वर
मन्त्रोच्चारण= मंत्र + उत् + चारण महामात्य= महा + अमात्य
(य )
यथेष्ट= यथा + इष्ट यद्यपि= यदि + अपि यशोऽभिलाषी= यशः+अभिलाषी योजनावधि = योजन + अवधि
युगानुसार= युग+अनुसार यथोचित = यथा +उचित यशइच्छा=यशः +इच्छा यशोदा =यशः+दा
युधिष्ठिर =युधि+स्थिर यशोधरा=यशः+धरा यशोधन=यशः+धन यवनावनि= यवन + अवनि
यज्ञ= यज + न यशोलाभ= यशः + लाभ योऽसि= यो + असि
( र, ल )
रत्नाकर= रत्न+आकर राजर्षि= राज+ऋषि रहस्योदघाटन =रहस्य+उद्घाटन राज्यगार= राज्य + आगार
राज्याभिषेक= राज्य + अभिषेख रमेश =रमा+ईश रामायण=राम +अयन रवींद्र= रवि+इंद्र
रजकण= रजः + कण रसातल= रसा + अतल रसास्वादन= रस + आस्वादन राजाज्ञा= राजा + आज्ञा
रामावतार= राम + अवतार रुद्रावतार= रूद्र + अवतार रेखांश= रेखा + अंश रसायन= रस + अयन
रहस्याधिकारी=रहस्य+अधिकारी लक्ष्मीश= लक्ष्मी + ईश लोकोक्ति = लोक + उक्ति लघूर्मि=लघु+ऊर्मि
लोकोत्तर= लोक + उत्तर लोकोपकार= लोक + उपकार लम्बोदर= लम्ब + उदर
( व )
वागीश= वाक्+ईश वीरांगणा= वीर+अंगना वाग्जाल= वाक्+जाल विपज्जाल= विपद्+जाल
व्युत्पत्ति=वि+उत्पत्ति व्यर्थ=वि +अर्थ विद्योत्रति=विद्या+उत्रति वयोवृद्ध=वयः+वृद्ध
व्याप्त=वि +आप्त बहिष्कार=बहिः+कार विद्यालय = विद्या + आलय विद्याध्ययन= विद्या + अध्ययन
विद्दोत्मा = विद्या + उत्तमा वधूत्सव =वधू +उत्सव व्ययामादी= व्यायाम + आदि व्यायाम=वि +आयाम
वसुधैव=वसुधा +एव व्याकुल=वि +आकुल विद्यार्थी= विद्या+अर्थी विषम=वि+सम
विधूदय=विधु+उदय वनौषधि=वन+ओषधि वधूत्सव=वधू+उत्सव वधूर्जा=वधू+ऊर्जा
वधूल्लेख=वधू+उल्लेख वध्वैश्र्वर्य=वधू + ऐश्र्वर्य वधूर्मिका= वधू + उर्मिका वनस्पति= वनः + पति
व्यस्त= वि + अस्त व्यवहार= वि + अवहार व्यभिचार= वि + अभिचार व्यापकता= वि + आपकता
व्यापी= वि + आपी व्यापक= वि + आपक वार्तालाप= वार्ता + आलाप वातावरण= वात + आवरण
वाग्रोध= वाक् + रोध वारीश= वारि + ईश वाग्दान= वाक् + दान विच्छेद= वि + छेद
विद्योपदेश= विद्या + उपदेश विन्यास= वि + नि + आस विमलोदक= विमल + उदक विपल्लीन= विपद् + लीन
विश्वामित्र= विश्व + अमित्र वधूचित= वधू + उचित विस्मरण= वि + स्मरण वृद्धावस्था= वृद्ध + अवस्था
वृक्षच्छाया= वृक्ष + छाया वृहदाकार= वृहत् + आकार विशेषोन्मुख= विशेष + उन्मुख विरुदावली= विरुद + अवली
(श, ष, स )
शंकर =शम् +कर शिरोमणि=शिरः +मणि शशांक= शश+अंक शस्त्रास्त्र=शस्त्र+अस्त्र
शताब्दी= शत + अब्दी शरच्चंद्र= शरत् + चन्द्र शिलारोपण= शिला + आरोपण शुद्धोदन= शुद्ध + ओदन
शेषांश= शेष + अंश शीघ्रातिशीघ्र= शीघ्र + अतिशीघ्र श्वासोच्छवास= श्वास + उत् षोडशोपचार= षोडस + उपचार
सदहस्ती= सत् + हस्ती संतुष्ट= सम् + तुष्ट संदेह= सम् + देश संघर्ष= सम् + घर्ष
समाचार= सम् + आचार संकट= सम् + कल्प समालोचना= सम् + आलोचना सर्वोच्च= सर्व + उच्च
सम्मुख= सम् +मुख सत्कार= सत् + कार सद्गुरु= सत् +गुरु सज्जन=सत् +जन
संसार=सम् +सार सदाचार= सत् +आचार संयम= सम+यम स्वाधीन= स्व+अधीन
साश्र्चर्य= स+आश्र्चर्य सावधान= स+अवधान सच्चरित्र= सत+चरित्र सदभाव=सत+भाव
सन्धि=सम+धि स्वर्ग= स्वः+ग शुद्धोदन= शुद्ध+ओदन स्वार्थ= स्व+अर्थ
सदभावना= सत+भावना सच्छास्त्र=सत्+शास्त्र संचय=सम+चय संवाद=सम् +वाद
सीमान्त=सीमा+अंत सप्तर्षि= सप्त+ऋषि समन्वय= सम् +अनु +अय सत्याग्रह= सत्य+आग्रह
संगठन= सम+गठन सद्विचार=सत्+विचार समुच्चय= सम+उत्+चय सर्वोदय= सर्व+उदय
संकोच= सम् + कोच श्रेयस्कर= श्रेयः + कर सुरेन्द्र= सुर+इन्द्र सदानन्द= सत्+आनन्द
सद्धर्म= सत्+धर्म संकल्प= सम् +कल्प संयोग= सम् +योग संयम =सम् +यम
संवत्= सम+वत् साष्टाग= स+अष्ट+अंग सर्वोत्तम= सर्व+उत्तम सत्रिहित= सत्+निहित
समुदाय= सम+उत्+आय सूर्योदय= सूर्य+उदय सदवाणी= सत्+वाणी स्वयम्भूदय= स्वयम्भू+उदय
संतप्त= सम् + तप्त षड्दर्शन= षट्+दर्शन स्वाध्याय= स्व + अध्याय सर्वाधिक = सर्व + अधिक
सर्वोच्च= सर्व + उच्च सत्याग्रही = सत्य + आग्रही स्वाभिमानी = स्व + अभिमानी सर्वोत्तम= सर्व + उत्तम
स्वालंबन = स्व + अवलंबन स्वर्णाक्षरों = स्वर्ण + अक्षरों स्वाध्याय = स्व + अध्याय स्वाधीनता= स्व + आधीनता
सत्याग्रह = सत्य + आग्रह शरीरांत= शरीर + अंत सदुत्तर= सत् + उत्तर स्वागत =सु+आगत
सन्तोष=सम् +तोष सरोज =सरः +ज सद्वंश= सत् + वंश सरोवर =सरः +वर
सतीश =सती +ईश सदैव =सदा +एव षडानन= षट्+आनन षण्मास= षट्+मास
संकल्प= सम् +कल्प संपूर्ण= सम्+पूर्ण संबंध= सम् +बंध संरक्षण= सम्+रक्षण
संवाद= सम्+वाद संविधान= सम्+विधान संसार= सम्+सार सज्जन= सत्+जन
सम्मान= सम्+मान सम्मति= सम्+मति स्वच्छंद= स्व +छंद स्वागत= सु+आगत
सन्नद= सत् +नद संहारैषण= संहार + एषण समीक्षा= सम् + ईक्षा समुचित= सम् + उचित
संस्कृति= सम् + कृति संगीत= सम् + गीत संगठन= सम् + गठन संदेह= सम् + देह
सन्तान= सम् +तान सदुप्रयोग= सत् +उपयोग संसर्ग= सम् + सर्ग सत्यासक्त= सत्य + आसक्त
सर्वोदय= सर्व + उदय समाधान= सम् + आधान सदिच्छा= सत् + इच्छा समालोचक= सम् + आलोचक
सतीच्छा= सती + इच्छा सदवतार= सत् + अवतार सत्कार= सत् + कार सम्राज = सम् + राज
संकीर्ण= सम् + कीर्ण संयोग= सम् + योग संभव= सम् + भव संयुक्त= सम् + युक्त
संग्राम= सम् + ग्राम सहायतार्थ= सहायता + अर्थ सज्जन= सत् + जन सत्साहित्य= सत् + साहित्य
संलग्न= सम् + लग्न संघाराम= संघ + आराम सर्वोपरि= सर्व + उपरि सर्वागीण= सर्व + अंगीन
सारांश= सार + अंश साश्चर्य= स + आश्चर्य साग्रह= स + आग्रह सावधान= स + अवधान
साधूहा= साधु + उहा सिद्धांत= सिद्ध + अन्त सिहांसन= सिंह + आसन सुधेच्छा= सुधा + इच्छा
सुन्दरौदन= सुन्दर + ओदन सुरानुकूल= सुर + अनुकूल सेवार्थ= सेवा + अर्थ सोत्साह= स + उत्साह
सोऽहम= सः + अहम् स्वार्थ= स्व + अर्थ स्वेच्छा= स्व + इच्छा सहोदर= सह + उदर
सम्मति= सम् + मति स्वैर= स्व + ईर स्वाधीन= स्व + अधीन सज्जाति= सत् + जाति
समुदाय= सम् + उदाय समुद्रोर्मि= समुद्र + उर्मि समृद्धि= सम् + ऋद्धि सख्युचित= सखी + उचित
सच्छात्र= सत् + शास्त्र संभव= सम् + भव संपूर्ण= सम् + पूर्ण संक्रान्ति= सम् + क्रान्ति
संहार= सम् + हार संवत्= सम् + वत् संसार= सम् + सार संपर्क= सम् + पर्क
सन्धि= सम् + धि संगम= सम् + गम संकोच= सम् + कोच संचय= सम् + चय
स्थानान्तर= स्थान + अंतर स्वच्छन्द= स्व + छन्द स्वात्मबल= स्व + आत्मबल सुखोपभोग= सुख + उपभोग
साभिलाष= स + अभिलाष सावकाश= स + अवकाश सम्मानास्पद=सम्+मान+आस्पद संग्रहालय= सम् + ग्रह + आलय
सदसद्विवेकिनी=सत्+असत्+विवेकिनी सच्चिदानन्द= सत् + चित् + आनन्द सर्वतोभावेन= सर्वतः + भावेन स्वर्गारोहण= स्वर्ग + आरोहण
स्वेच्छाचारी= स्वेच्छा + आचारी
(ह, ज्ञ )
हिमांचल = हिम + अंचल हिमालय= हिम + आलय हरिश्चन्द्र= हरिः + चन्द्र ह्रदयानन्द= ह्रदय + आनन्द
हताश= हत + आश हितोपदेश= हित + उपदेश हरीच्छा= हरि + इच्छा ह्रदयहारिणी= ह्रदय + हारिणी
हिमाच्छादित=हिम+आच्छादित हरेक= हर + एक ज्ञानोपदेश= ज्ञान+उपदेश हृद्येश= हृद् + देश
हिन्दी व्याकरण
• भाषा • लिपि • व्याकरण • वर्ण,वर्णमाला • शब्द • वाक्य • संज्ञा • सर्वनाम • क्रिया • काल • विशेषण • अव्यय • लिंग • उपसर्ग • प्रत्यय • तत्सम तद्भव शब्द • संधि 1 • संधि 2 • कारक • मुहावरे 1 • मुहावरे 2 • लोकोक्ति • समास 1 • समास 2 • वचन • अलंकार • विलोम • अनेकार्थी शब्द • अनेक शब्दों के लिए एक शब्द 1 • अनेक शब्दों के लिए एक शब्द 2 • पत्रलेखन • विराम चिह्न • युग्म शब्द • अनुच्छेद लेखन • कहानी लेखन • संवाद लेखन • तार लेखन • प्रतिवेदन लेखन • पल्लवन • संक्षेपण • छन्द • रस • शब्दार्थ • धातु • पदबंध • उपवाक्य • शब्दों की अशुद्धियाँ • समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द • वाच्य • सारांश • भावार्थ • व्याख्या • टिप्पण • कार्यालयीय आलेखन • पर्यायवाची शब्द • श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द • वाक्य शुद्धि • पाठ बोधन • शब्द शक्ति • हिन्दी संख्याएँ • पारिभाषिक शब्दावली •
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