अनेकार्थी शब्द
ऐसे शब्द, जिनके अनेक अर्थ होते है, अनेकार्थी शब्द कहलाते है।
दूसरे शब्दों में- जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं, उन्हें 'अनेकार्थी शब्द' कहते है।
अनेकार्थी का अर्थ है – एक से अधिक अर्थ देने वाला।
यहाँ कुछ प्रमुख अनेकार्थी शब्द दिया जा रहा है।
( अ, उ )
अपवाद- कलंक, वह प्रचलित प्रसंग, जो नियम के विरुद्ध हो। अतिथि- मेहमान, साधु, यात्री, अपरिचित व्यक्ति, यज्ञ में सोमलता लाने वाला, राम का पोता या कुश का बेटा।
अरुण- लाल, सूर्य, सूर्य का सारथी, इत्यादि । आपत्ति- विपत्ति,एतराज।
अपेक्षा- इच्छा, आवश्यकता, आशा, इत्यादि। आराम- बाग, विश्राम, रोग का दूर होना।
अंक- भाग्य, गिनती के अंक, नाटक के अंक, चिन्ह संख्या, गोद। अंबर- आकाश,अमृत, वस्त्र।
अनंत- आकाश, ईश्वर, विष्णु, अंतहीन, शेष नाग। अर्थ- मतलब, कारण, लिए, भाव, अभिप्राय, धन, आशय, प्रयोजन।
अवकाश- छुटटी, अवसर, अंतराल आम- आम का फल, सर्वसाधारण, मामूली, सामान्य।
अन्तर- शेष, दूरी, हृदय, भेद। अधर- धरती (आकाश के बीच का स्थान), पाताल, नीचा, होंठ।
आराम- विश्राम, निरोग होना। उत्तर- उत्तर दिशा, जवाब, हल, अतीत, पिछला, बाद का इत्यादि।
( क )
कर- हाथ, टैक्स, किरण, सूँड़ । काल- समय, मृत्यु, यमराज।
कला- अंश, किसी कार्य को अच्छी तरह करने का कौशल। कर्ण- कर्ण (नाम), कान।
कुशल- खैरियत, चतुर । कल- बीता हुआ दिन, आने वाला दिन, मशीन।
कर्ण- कर्ण (नाम), कान। काम- वासना, कामदेव, कार्य, पेशा, धंधा।
कनक- सोना, धतूरा, गेंहूँ। कुशल- खैरियत, चतुर ।
( ख, ग )
खग- पक्षी, तारा, गन्धर्व, बाण। खर- दुष्ट, गधा, तिनका, एक राक्षस।
खल- दुष्ट, धतूरा, दवा कूटने का खरल। गण- समूह, मनुष्य, भूतप्रेतादि, शिव के गण, पिंगल के गण।
गुरु- शिक्षक, ग्रहविशेष, श्रेष्ठ, बृहस्पति, भारी, बड़ा, भार। गो- बाण, आँख, वज्र, गाय, स्वर्ग, पृथ्वी, सरस्वती, सूर्य, बैल, इत्यादि।
गुण- कौशल, शील, रस्सी, स्वभाव, धनुष की डोरी। गति- चाल, दशा, मोक्ष, हालत।
( घ, ज )
घन- बादल, अधिक, घना, गणित का घन, पिण्ड, हथौड़ा । जलज- कमल, मोती, शंख, मछली, चन्द्रमा, सेवार।
जाल- फरेब, बुनावट, जाला। जीवन- जल, प्राण, जीवित।
जलधर- बादल, समुद्र। जड़- मूल, मूर्ख।
ज्येष्ठ (जेठ)- पति का बड़ा भाई, बड़ा, हिन्दी महीना।
( त, द )
तीर- बाण, किनारा, तट। तारा- आँख की पुतली, नक्षत्र, बालि की स्त्री, बृहस्पति की स्त्री।
दंड- सज़ा, डंडा, एक व्यायाम। दल- समूह, सेना, पत्ता, हिस्सा, पक्ष, भाग, चिड़ी।
द्रव्य- वस्तु, धन।
( घ, न )
धन- सम्पति, योग। धर्म- प्रकृति, स्वभाव, कर्तव्य, सम्प्रदाय।
नाग- हाथी, साँप। नग- पर्वत, वृक्ष, नगीना।
निशाचर- राक्षस, प्रेत, उल्लू, चोर।
( प, फ, ब, म )
पद- चरण, शब्द, पैर, स्थान, ओहदा, कविता का चरण। पानी- जल, चमक, इज्जत ।
पक्ष- पन्द्रह दिन का समय, ओर, पंख, बल, सहाय, पार्टी। पत्र- पत्ता, चिठ्ठी, पंख।
पृष्ठ- पीठ, पत्रा, पीछे का भाग। प्रभाव- सामर्थ्य, असर, महिमा, दबाव।
पतंग- सूर्य, पक्षी, टिड्डी, फतिंगा, गुड्डी। पय- दूध, पानी।
फल- लाभ, मेवा, नतीजा, भाले की नोक। बल- सेना, शक्ति।
बलि- राजा बलि, बलिदान, उपहार, कर इत्यादि। मुद्रा- मुहर, आकृति, धन।
( भ, म )
भाग- हिस्सा, विभाजन, भाग्य। मान- इज्जत, अभिमान, नाप-तौल।
मत- राय, वोट, नही। मधु- शहद, शराब, मीठा, वसन्तऋतु।
मित्र- सूर्य, दोस्त। महावीर- हनुमान, बहुत बलवान्, जैन तीर्थकर।
मूक- गूँगा, चुप, विवश।
( य, र, ल, व )
योग- नियम, उपाय, मिलन, जोड़। राशि- समूह, मेष, कर्क, आदि राशियाँ। रस- प्रेम, काव्य के नौ रस, स्वाद, सार।
लक्ष्य- निशाना, उद्देश्य। वर- दूल्हा, वरदान, श्रेष्ट।
वर्ण- जाति, रंग, अक्षर। विग्रह- लड़ाई, शरीर, देवता की मृर्ति।
विषम- जो सम न हो, भीषण, बहुत कठिन। वन- जंगल, जल।
विरोध- वैर, विपरीत भाव। विधि- कानून, रीति, ईश्वर, भाग्य, ढंग।
विजया- दुर्गा, भाँग। वार- प्रहार, बारी, दिन।
( श, स )
शिव- मंगल, महादेव, भागयशाली। शुद्ध- पवित्र, ठीक, जिसमें मिलावट न हो।
सर- तालाब, सिर, पराजित। सेहत- सुख, स्वास्थ्य। रोग से छुटकारा।
सुधा- अमृत, पानी। संज्ञा- नाम, चेतना।
शक्ति- देवी, योग्यता, प्रभाव, बल। सारंग- हाथी, कोयल, कामदेव, सिंह, धनुष भौंरा, मधुमक्खी, कमल।
स्थूल- मोटा, सहज में दिखाई देने या समझ में आने योग्य। स्नेह- प्रेम, तेल, चिकनाई।
( ह )
हार- आभूषण, पराजय। हंस- प्राण, पक्षिविशेष।
हस्ती- हाथी, अस्तित्व। हरकत- गति, चेष्टा, नटखटपन।
हीन- रहित, दीन, निकृष्ट। हरि- हाथी, विष्णु, पहाड़, सिंह, इन्द्र, घोड़ा, सर्प, बन्दर, वानर, मेढ़क, यमराज, शिव, कृष्ण, किरण, कोयल, हंस।
यहाँ कुछ प्रमुख एकार्थक शब्द दिया जा रहा है।
अहंकार- मन का गर्व। झूठे अपनेपन का बोध।
दर्प- नियम के विरुद्ध काम करने पर भी घमण्ड करना।
अभिमान- प्रतिष्ठा में अपने को बड़ा और दूसरे को छोटा समझना।
घमण्ड- सभी स्थितियों में अपने को बड़ा और दूसरे को हीन समझना।
अनुग्रह- कृपा। किसी छोटे से प्रसत्र होकर उसका कुछ उपकार या भलाई करना।
अनुकम्पा- बहुत कृपा। किसी के दुःख से दुखी होकर उसपर की गयी दया।
अनुरोध- अनुरोध बराबरवालों से किया जाता है।
प्रार्थना- ईश्र्वर या अपने से बड़ों के प्रति इच्छापूर्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।
अस्त्र- वह हथियार, जो फेंककर चलाया जाता है। जैसे- तीर, बर्छी आदि।
शस्त्र- वह हथियार जो हाथ में थामकर चलाया जाता है। जैसे- तलवार।
अपराध- सामाजिक कानून का उल्लंघन अपराध है। जैसे- हत्या।
पाप- नैतिक नियमों का उल्लंघन 'पाप' है। जैसे- झूठ बोलना।
अवस्था- जीवन के कुछ बीते हुए काल या स्थिति को 'अवस्था' कहते है। जैसे- आपको अवस्था क्या होगी ? रोगी की अवस्था कैसी है ?
आयु- सम्पूर्ण जीवन की अवधि को 'आयु' कहते है। जैसे -आप दीर्घायु हों। आपकी आयु लम्बी हो।
अपयश- स्थायी रूप से दोषी होना।
कलंक- कुसंगति के कारण चरित्र पर दोष लगाना।
अधिक-आवश्यकता से ज्यादा। जैसे- बाढ़ में गंगा में जल अधिक हो जाता है।
काफी- आवश्यकता से अधिक। जैसे- गर्मी में भी गंगा में काफी पानी रहता है।
अनुराग- किसी विषय या व्यक्ति पर शुद्धभाव से मन केन्द्रित करना।
आसक्ति- मोहजनित प्रेम को 'आसक्ति' कहते है।
अन्तःकरण- विशुद्ध मन की विवेकपूर्ण शक्ति।
आत्मा- जीवों में चेतन, अतीन्द्रिय और अभौतिक तत्व, जिसका कभी नाश नहीं होता।
अध्यक्ष- किसी गोष्ठी, समिति, परिषद् या संस्था के स्थायी प्रधान को अध्यक्ष कहते है।
सभापति- किसी आयोजित बड़ी अस्थायी सभा के प्रधान को 'सभापति' कहते है।
अर्चना- धूप, दीप, फूल, इत्यादि, से देवता की पूजा।
अभिनन्दन- किसी श्रेष्ठ का मान या स्वागत।
स्वागत- अपनी सभ्यता और प्रथा के वश किसी को सम्मान देना।
आदि- साधारणतः एक या दो उदाहरण के बाद 'आदि' का प्रयोग होता है।
इत्यादि- साधारणतः दो से अधिक उदाहरण के बाद 'इत्यादि' का प्रयोग होता है।
आज्ञा-आदरणीय या पूज्य व्यक्ति द्वारा किया गया कार्यनिर्देश। जैसे- पिताजी की आज्ञा है कि मैं धूप में बाहर न जाऊँ।
आदेश- किसी अधिकारी व्यक्ति द्वारा दिया गया कार्यनिर्देश। जैसे- जिलाधीश का आदेश है कि नगर में सर्वत्र शान्ति बनी रहे।
आदरणीय- अपने से बड़ों या महान् व्यक्तियों के प्रति सम्मानसूचक शब्द।
पूजनीय- पिता, गुरु या महापुरुषों के प्रति सम्मानसूचक शब्द।
इच्छा- किसी भी वस्तु की साधारण चाह।
अभिलाषा- किसी विशेष वस्तु की हार्दिक इच्छा।
उत्साह- काम करने की बढ़ती हुई रुचि।
साहस- भय पर विजय प्राप्त करना।
कष्ट- आभाव या असमर्थता के कारण मानसिक और शारीरिक कष्ट होता है।
क्लेश- यह मानसिक अप्रिय भावों या अवस्थाओं का सूचक है।
पीड़ा- रोग-चोट आदि के कारण शारीरिक 'पीड़ा' होती है।
कृपा- दूसरे के कष्ट दूर करने की साधरण चेष्टा।
दया- दूसरे के दुःख को दूर करने की स्वाभाविक इच्छा।
कंगाल-जिसे पेट पालने के लिए भीख माँगनी पड़े।
दीन- निर्धनता के कारण जो दयापात्र हो चुका है।
खेद- किसी गलती पर दुःखी होना। जैसे- मुझे खेद है कि मैं समय पर न पहुँच सका।
शोक- किसी की मृत्यु पर दुःखी होना। जैसे- गाँधी की मृत्यु से सर्वत्र शोक छा गया।
क्षोभ- सफलता न मिलने या असामाजिक स्थिति पर दुखी होना।
दुःख- साधारण कष्ट या मानसिक पीड़ा।
ग्रन्थ-इससे पुस्तक के आकर की गुरुता और विषय के गाम्भीर्य का बोध होता है।
पुस्तक- साधारणतः सभी प्रकार की छपी किताब को 'पुस्तक' कहते है।
दक्ष-जो हाथ से किए जानेवाले काम अच्छी तरह और जल्दी करता है। जैसे- वह कपड़ा सीने में दक्ष है।
निपुण-जो अपने कार्य या विषय का पूरा-पूरा ज्ञान प्राप्त कर उसका अच्छा जानकार बन चुका है।
कुशल- जो हर काम में मानसिक तथा शारीरिक शक्तियों का अच्छा प्रयोग करना जानता है।
कर्मठ- जिस काम पर लगाया जाय उसपर लगा रहनेवाला।
निबन्ध- ऐसी गद्यरचना, जिसमें विषय गौण हो और लेखक का व्यक्तित्व और उसकी शैली प्रधान हो।
लेख- ऐसी गद्यरचना, जिसमें वस्तु या विषय की प्रधानता हो।
निधन- महान् और लोकप्रिय व्यक्ति की मृत्यु को 'निधन' कहा जाता है।
मृत्यु- सामान्य शरीरान्त को 'मृत्यु' कहते है।
निकट- सामीप्य का बोध। जैसे- मेरे गाँव के निकट एक स्कूल है।
पास- अधिकार के सामीप्य का बोध। जैसे- धनिकों के पास पर्याप्त धन है।
प्रेम- व्यापक अर्थ में प्रयुक्त होता है। जैसे- ईश्र्वर से प्रेम, स्त्री से प्रेम आदि।
स्त्रेह- अपने से छोटों के प्रति 'स्त्रेह' होता है। जैसे- पुत्र से स्त्रेह।
प्रणय- सख्यभावमिश्रित अनुराग। जैसे- राधा-माधव का प्रणय।
प्रणाम- बड़ों को 'प्रणाम' किया जाता है।
नमस्कार- बराबरवालों को 'नमस्कार' या 'नमस्ते' किया जाता है।
पारितोषिक- किसी प्रतियोगिता में विजयी होने पर पारितोषिक दिया जाता है।
पुरस्कार- किसी व्यक्ति के अच्छे काम या सेवा से प्रसत्र होकर 'पुरस्कार' दिया जाता है।
पति-किसी की विवाहिता स्त्री।
महिला- भले घर की स्त्री।
स्त्री- कोई भी औरत।
पुत्र- अपना बेटा।
बालक- कोई भी लड़का।
बड़ा- आकार का बोधक। जैसे- हमारा मकान बड़ा है।
बहुत- परिमाण का बोधक। जैसे- आज उसने बहुत खाया।
बुद्धि- कर्तव्य का निश्रय करती है।
ज्ञान- इन्द्रियों द्वारा प्राप्त हर अनुभव।
बहुमूल्य- बहुत कीमती वस्तु, पर जिसका मूल्य-निर्धारण किया जा सके।
अमूल्य- जिसका मूल्य न लगाया जा सके।
मित्र- वह पराया व्यक्ति, जिसके साथ आत्मीयता हो।
बन्धु- आत्मीय मित्र। सम्बन्धी।
मन- मन में संकल्प-विकल्प होता है।
चित्त- चित्त में बातों का स्मरण-विस्मरण होता है।
महाशय- सामान्य लोगों के लिए 'महाशय' का प्रयोग होता है।
महोदय- अपने से बड़ों को या अधिकारियों को 'महोदय' लिखा जाता है।
यातना- आघात में उत्पत्र कष्टों की अनुभूति (शारीरिक) ।
विश्र्वास- सामने हुई बात पर भरोसा करना, बिलकुल ठीक मानना।
विषाद- अतिशय दुःखी होने के कारण किंकर्तव्यविमूढ़ होना।
व्यथा- किसी आघात के कारण मानसिक अथवा शारीरिक कष्ट या पीड़ा।
सेवा- गुरुजनों की टहल।
शुश्रूषा- दीन-दुखियों और रोगियों की सेवा।
साधारण- जो वस्तु या व्यक्ति एक ही आधार पर आश्रित हो। जिसमें कोई विशिष्ट गुण या चमत्कार न हो।
सामान्य- जो बात दो अथवा कई वस्तुओं तथा व्यक्तियों आदि में समान रूप से पायी जाती हो, उसे 'सामान्य' कहते है। स्वतंत्रा- 'स्वतंत्रा' का प्रयोग व्यक्तियों के लिए होता है। जैसे- भारतीयों को स्वतंत्रा मिली है।
स्वाधीनता- 'स्वाधीनता' देश या राष्ट के लिए प्रयुक्त होती है।
सखा- जो आपस में एकप्राण, एकमन, किन्तु दो शरीर है।
सुहृद्- अच्छा हृदय रखनेवाला।
सहानुभूति- दूसरे के दुःख को अपना दुःख समझना।
स्त्रेह-छोटों के प्रति प्रेमभाव रखना।
सम्राट- राजाओं का राजा।
राजा-एक साधारण भूपति।
हिन्दी व्याकरण
• भाषा • लिपि • व्याकरण • वर्ण,वर्णमाला • शब्द • वाक्य • संज्ञा • सर्वनाम • क्रिया • काल • विशेषण • अव्यय • लिंग • उपसर्ग • प्रत्यय • तत्सम तद्भव शब्द • संधि 1 • संधि 2 • कारक • मुहावरे 1 • मुहावरे 2 • लोकोक्ति • समास 1 • समास 2 • वचन • अलंकार • विलोम • अनेकार्थी शब्द • अनेक शब्दों के लिए एक शब्द 1 • अनेक शब्दों के लिए एक शब्द 2 • पत्रलेखन • विराम चिह्न • युग्म शब्द • अनुच्छेद लेखन • कहानी लेखन • संवाद लेखन • तार लेखन • प्रतिवेदन लेखन • पल्लवन • संक्षेपण • छन्द • रस • शब्दार्थ • धातु • पदबंध • उपवाक्य • शब्दों की अशुद्धियाँ • समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द • वाच्य • सारांश • भावार्थ • व्याख्या • टिप्पण • कार्यालयीय आलेखन • पर्यायवाची शब्द • श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द • वाक्य शुद्धि • पाठ बोधन • शब्द शक्ति • हिन्दी संख्याएँ • पारिभाषिक शब्दावली •
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