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विश्व संस्कृत दिवस



 






सावन पूर्णिमा (Shravan Purnima) के दिन मनाया जाने वाला विश्व संस्कृत दिवस (World Sanskrit Day) संस्कृत दिवस (Sanskrit Day) / राष्ट्रीय संस्कृत दिवस (National Sanskrit Day) अपने आप में अनूठा है. क्योंकि इस तरह राष्ट्रीय स्तर पर कोई अन्य प्राचीन भाषा नहीं मनाई जाती है. इस दिन ऋषि-मुनियों का स्मरण किया जाता है. साथ ही इनकी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि यह ऋषि संस्कृत साहित्य के प्रमुख स्रोत हैं. इसी मूल भाषा की कई अन्य भाषाओं का जन्म हुआ है. इस वर्ष संस्कृत दिवस 22 अगस्त रविवार को पड़ रहा है. जैसा कि आजकल कोई भी संस्कृत के महत्व को नहीं जानता है और कोई भी संस्कृत को नहीं चुनता है, इसलिए इस दिन को संस्कृत भाषा के महत्व को जानने के लिए मनाया जाता है और संस्कृत शिक्षक उन कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं जहां वे संस्कृत के महत्व पर भाषण देते हैं.

संस्कृत दिवस मनाए जाने के कारण लोग अब संस्कृत के महत्व को समझने लगे हैं और संस्कृत को अपने अध्ययन के रूप में चुनना शुरू कर रहे हैं. विश्व संस्कृत दिवस या संस्कृत दिवस को विश्व संस्कृत दिनम (Sanskrit Dinam 2021) के नाम से भी जाना जाता है. यह श्रावण पूर्णिमा पर मनाया जाता है, जो कि पूर्णिमा का दिन है जो हिंदू कैलेंडर में श्रावण के महीने में पूर्णिमा के दिन होता है.

संस्कृत दिवस संस्कृत की प्राचीन भारतीय भाषा पर केंद्रित एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसमें भाषा के बारे में व्याख्यान शामिल हैं और इसका उद्देश्य इसके बारे में जागरूकता फैलाना है. संस्कृत भाषा को उत्तराखंड की दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में घोषित किया गया है. संस्कृत भाषा में लगभग 102 अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्दों की सबसे बड़ी शब्दावली है.



सन् 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया गया था। तब से संपूर्ण भारत में संस्कृत दिवस श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन को इसीलिए चुना गया था कि इसी दिन प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था। इसी दिन वेद पाठ का आरंभ होता था तथा इसी दिन छात्र शास्त्रों के अध्ययन का प्रारंभ किया करते थे। पौष माह की पूर्णिमा से श्रावण माह की पूर्णिमा तक अध्ययन बन्द हो जाता था। प्राचीन काल में फिर से श्रावण पूर्णिमा से पौष पूर्णिमा तक अध्ययन चलता था, वर्तमान में भी गुरुकुलों में श्रावण पूर्णिमा से वेदाध्ययन प्रारम्भ किया जाता है। इसीलिए इस दिन को संस्कृत दिवस के रूप से मनाया जाता है। आजकल देश में ही नहीं, विदेश में भी संस्कृत उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसमें केन्द्र तथा राज्य सरकारों का भी योगदान उल्लेखनीय है। जिस सप्ताह संस्कृत दिवस आता है, वह सप्ताह कुछ वर्षों से संस्कृत सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। सीबीएसई विद्यालयों और देश के समस्त विद्यालयों में इसे धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तराखण्ड में संस्कृत आधिकारिक भाषा घोषित होने से संस्कृत सप्ताह में प्रतिदिन संस्कृत भाषा में अलग अलग कार्यक्रम व प्रतियोगिताएं होती हैं। संस्कृत के छात्र-छात्राओं द्वारा ग्रामों अथवा शहरों में झांकियाँ निकाली जाती हैं। संस्कृत दिवस एवं संस्कृत सप्ताह मनाने का मूल उद्देश्य संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार करना है।

संस्कृत दिवस को राष्ट्रिय और वैश्विक स्तर पर मनाया जाता हैं. उसके मनाने के पीछे मुख्य आधार यह हैं कि लोग इस भाषा में महत्व को समझे और हमारी नई पीढ़ी को भारत की इस भाषा से परिचय करवाया जाए.

बहुत से लोग ये समझते हैं आज अंग्रेजी के बिना काम नही चलने वाला या संस्कृत एक पुरानी भाषा हैं. समय बदलने के साथ आज इसका कोई महत्व नही हैं. ऐसी बात नही हैं. इन्टरनेट पर आज संस्कृत भाषा अंग्रेजी की द्रष्टि से अधिक सुद्रढ़ हैं.






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