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भावार्थ (Substance)

  

भावार्थ (Substance)

'सारांशकी तरह 'भावार्थभी मूल अवतरण का छोटा रूप हैकिंतु 'भावार्थलिखने की रीति 'सारांशकी रीति से भिन्न है। वास्तव में, 'भावार्थकी विधि 'गागर में सागरभरने की एक क्रिया है। यहाँ मूलभाव का कोई भी भाव या विचार छूटना नहीं चाहिए। विषय को या बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहने या लिखने की यहाँ भी आवश्यकता नहींपर भावार्थ में भावों का पदान्वय भी नहीं होना चाहिए।

यद्यपि भावार्थ की लम्बाई-चौड़ाई की अन्तिम सीमा नहीं बाँधी जा सकतीतथापि आशय या भाव के प्रतिकूल उसे मूल अवतरण का कम-से कम आधा तो होना ही चाहिए। इसमें मूल के सभी प्रधान और गौण भाव  जाने चाहिए। भाषा सरल और अपनी होनी चाहिए। 'सारांशमें केवल प्रधान भाव ही रहते हैं। किंतु 'भावार्थमें छोटे-बड़े सभी भावों का समावेश किया जाता है। सच तो यह है कि 'भावार्थ' 'सारांश और 'व्याख्याके बीच की चीज है।

'भावार्थके सम्बन्ध में एक विद्वान का कथन है- ''भावार्थ संक्षिप्त और स्पष्ट हो। इसे व्याख्या के रूप में नहीं होना चाहिए। केवल अन्वयार्थ (paraphrase) को भी भावार्थ नहीं समझना चाहिए।''

इस उद्धरण में तीन बातें स्पष्ट हैं- (1) भावार्थ संक्षिप्त होना चाहिए (2) भावार्थ व्याख्या के रूप में नहीं होना चाहिए (3) भावार्थ में अन्वयार्थ भी नहीं होना चाहिए

भावार्थ की प्राथमिक विशेषता उसकी संक्षिप्तता है। हम थोड़े में सब कुछ कह जायेंयही इसकी पहली शर्त है। फिर, 'भावार्थसंक्षेपण (precis) से बिलकुल भित्र है।

भावार्थ के लिए आवश्यक निर्देश

भावार्थ के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए-

(1) मूल अवतरण दो-तीन बार ध्यानपूर्वक पढ़िए और विचारों को रेखांकित कीजिए। व्यर्थ बातों या शब्दों को हटा दीजिए। 

(2) व्यर्थ बातों या शब्दों को हटा दीजिए।

(3) रेखांकित वाक्यों और शब्दों को मिलाकर सार्थक वाक्य बना लीजिए। रिक्त स्थानों की पूर्ति के लिए कुछ बाहरी शब्द भी लिये जा सकते हैं। इस प्रकारभावार्थ की रुपरेखा तैयार हो जायेगी। 

(4) व्याख्या की तरह विषय की लम्बी-चौड़ी व्याख्या करने या प्रत्येक पंक्ति या वाक्य का विस्तार करने या अपनी ओर से टीका-टिप्पणी करने की कोई आवश्यकता नहीं है। 

(5) भावार्थ की भाषा स्पष्ट और सरल हो। मूल अवतरण में दिये गये शब्दों का ज्यों-का-त्यों प्रयोग अपेक्षित नहीं है। 

(6) आलंकारिक शब्दों या भाषा का प्रयोग नहीं होना चाहिए। 

(7) भावार्थ में भावों का पदान्वय नहीं होना चाहिए। समूचे अवतरण को पढ़ लेने के बाद सोचना चाहिए कि मूल के सभी महत्त्वपूर्ण और आवश्यक भाव  गये या नहीं। यदि कोई विचार छूट गयाहो तो यथास्थान समाविष्ट कर देना चाहिए।

तात्पर्य यह है कि गद्यांश या पद्यांश में आये विचारों को संक्षेप मेंसरल भाषा मेंलिख देने के प्रयास को 'भावार्थ कहते है। इसमें खण्डन-मण्डन या टीका-टिप्पणी की कोई गुंजाइश नहीं रहती। परीक्षार्थी को अपनी ओर से एक भी बात घटाने या बढ़ाने का अधिकार नहीं है।

यहाँ पर उदाहरण दिया जा रहा है-

मूर्ति तैयार हुई। मूर्तिकार उसे बाजार ले गया। पर दुर्भाग्यवह  बिकी। अब कौन मुँह लेकर घर लौटे। आखिर घर तो उसे लौटना ही था। उसे देखते ही उसका बच्चा 'बताशा-बताशाचिल्लाता हुआ दौड़ा और उसके आगे हाथ फैला दिये। मूर्तिकार के मुँह से कोई शब्द  निकला। वह बच्चे को अपनी गोद से चिपकाकर रोने लगा। वह सोचने लगाजिसने धनवानों को बनायाजिसने प्रकृति पर अधिकार दियाजिसने जमीन का बंटवारा कियाक्या उसकी बुद्धि इतनी छोटी हो गयी कि कुछ लोग फूलों की सेज पर आराम से सोयें और कुछ लोग पसीने के रूप में दिन-रात खून बहाने पर भी मुट्ठीभर चने तक  पायें!

भावार्थ - आज पूँजीवाद का भयानक रूप देखने को मिलता है। कुछ लोग बिना हाथ-पैर डुलाये मालपुआ चाभते हैं और सुख का जीवन बिताते है और कुछ लोग मेहनत करके भी भरपेट अन्न नहीं पाते। आज दौलत के बाजार में कलाकार को कोई नहीं पूछता। कलाकार भूखा मरता है और अपने बच्चे को बताशा भी खरीदकर नहीं दे सकता।






हिन्दी व्याकरण 

•   भाषा   •   लिपि   •   व्याकरण   •   वर्ण,वर्णमाला   •   शब्द   •   वाक्य   •   संज्ञा   •   सर्वनाम   •   क्रिया   •   काल   •   विशेषण   •   अव्यय   •   लिंग   •   उपसर्ग   •   प्रत्यय   •   तत्सम तद्भव शब्द   •    संधि 1   •  संधि 2   •   कारक   •   मुहावरे 1   •   मुहावरे 2   •   लोकोक्ति   •   समास 1   •   समास 2   •   वचन   •   अलंकार   •   विलोम   •   अनेकार्थी शब्द   •  अनेक शब्दों के लिए एक शब्द 1   •   अनेक शब्दों के लिए एक शब्द 2   •   पत्रलेखन   •   विराम चिह्न   •   युग्म शब्द   •   अनुच्छेद लेखन   •   कहानी लेखन   •   संवाद लेखन   •   तार लेखन   •   प्रतिवेदन लेखन   •   पल्लवन   •   संक्षेपण   •   छन्द   •   रस   •   शब्दार्थ   •   धातु   •   पदबंध   •   उपवाक्य   •   शब्दों की अशुद्धियाँ   •   समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द   •   वाच्य   •   सारांश   •   भावार्थ   •   व्याख्या   •   टिप्पण   •   कार्यालयीय आलेखन   •   पर्यायवाची शब्द   •   श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द   •   वाक्य शुद्धि   •   पाठ बोधन   •   शब्द शक्ति   •   हिन्दी संख्याएँ   •   पारिभाषिक शब्दावली   •



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