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राष्ट्रीय हिन्दी दिवस ( 14 सितंबर )

 











हिन्दी जिसके मानकीकृत रूप को मानक हिंदी कहा जाता है, विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की एक राजभाषा है। केन्द्रीय स्तर पर भारत में सह-आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्दों का प्रयोग अधिक है और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत के संविधान में किसी भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया है। हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है।

भारत में 77.1% भारतीय जनसंख्या हिन्दी जानती है जिसमें से लगभग 60 % से ज्यादा भारतीय लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा या मातृभाषा घोषित किया था । इसके अतिरिक्त भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में 14 करोड़ 10 लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, व्याकरण के आधार पर हिन्दी के समान है, एवं दोनों ही हिन्दुस्तानी भाषा की परस्पर-सुबोध्य रूप हैं। एक विशाल संख्या में लोग हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझते हैं। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की 14 आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग 1 अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिन्दी भारत में सम्पर्क भाषा का कार्य करती है और कुछ हद तक पूरे भारत में सामान्यतः एक सरल रूप में समझी जानेवाली भाषा है। कभी-कभी 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग नौ भारतीय राज्यों के सन्दर्भ में भी उपयोग किया जाता है, जिनकी आधिकारिक भाषा हिन्दी है और हिन्दी भाषी बहुमत है, अर्थात् बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखण्ड, जम्मू और कश्मीर (2020 से) उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का । हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम, नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात में भी हिन्दी या इसकी मान्य बोलियों का उपयोग करने वाले लोगों की बड़ी संख्या मौजूद है। फरवरी 2019 में अबू धाबी में हिन्दी को न्यायालय की तीसरी भाषा के रूप में मान्यता मिली।







इतिहास :-

हिंदी भाषा को जन-जन की भाषा के रुप में भी जाना जाता है। हिंदी का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है।

वर्ष 1918 में गांधी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था।

 वर्ष 1949 में स्वतंत्र भारत की राष्ट्रभाषा के प्रश्न पर 14 सितम्बर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया 

भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की अनुच्छेद 343(1) में इस प्रकार वर्णित है- 
संघ की राष्ट्रभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अन्तरराष्ट्रीय रूप होगा। 

यह निर्णय 14 सितम्बर को लिया गया, इसी दिन हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार व्यौहार राजेन्द्र सिंहा का 50वाँ जन्मदिन था, इस कारण हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था। हालांकि जब राष्ट्रभाषा के रूप में इसे चुना गया और लागू किया गया तो अ-हिन्दी भाषी राज्य के लोग इसका विरोध करने लगे और अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा। इस कारण हिन्दी में भी अंग्रेजी भाषा का प्रभाव पड़ने लगा।

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने इस एतिहासिक दिन के महत्व को देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। हालांकि आधिकारिक रूप से पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।






उत्सव

भारत में स्कूल और कॉलेज इस दिन हिंदी में साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं, जहां सभी छात्र भाग लेते हैं। अधिकांश शैक्षणिक संस्थान कविता, निबंध और पाठ प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं और छात्रों को भाग लेने और भाषा का जश्न मनाने और उस पर गर्व करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यादगार दिन को मनाने के लिए आप कई साहित्यिक गतिविधियों के साथ-साथ समारोह भी देख सकते हैं। 








मेरी कुछ पसंदीदा पंक्तियाँ जो आधुनिक हिन्दी के पितामह भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा हिन्दी उत्थान के लिए लिखी गई हैं |


निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, 
बिनु निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल ।

अँग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन, 
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन । 

उन्नति पूरी है तबहिं, जब घर उन्नति होय,
निज शरीर उन्नति किए, रहत मूढ़ सब कोय । 

निज भाषा उन्नति बिना, कबहुँ न ह्यैहैं सोय, 
लाख उपाय अनेक यों, भले करे किन कोय । 

इक भाषा इक जीव इक, मति सब घर के लोग, 
तबै बनत है सबन सों, मिटत मूढ़ता सोग । 

और एक अति लाभ यह, या में प्रगट लखात, 
निज भाषा में कीजिए, जो विद्या की बात । 

तेहि सुनि पावै लाभ सब, बात सुनै जो कोय, 
यह गुन भाषा और महं, कबहूं नाहीं होय । 

विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार, 
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार । 

भारत में सब भिन्न अति, ताहीं सों उत्पात, 
विविध देस मतहू विविध, भाषा विविध लखात । 

सब मिल तासों छाँड़ि कै, दूजे और उपाय, 
उन्नति भाषा की करहु, अहो भ्रातगन आय ।













1 comments:

  1. अभी भी लोग अंगेजों के गुलाम है

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