E-mail

onlinetaiyarigroup@gmail.com

 

ONLINE TAIYARI GROUP आपका स्वागत करता है |

भाषा (Language)

 


भाषा(Language)





सामान्यतः भाषा मनुष्य की सार्थक व्यक्त वाणी को कहते है।

दूसरे शब्दों मेंजिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो को समझ सके उसे भाषा कहते है।

भाषा शब्द संस्कृत के भाष धातु से बना है। इसका अर्थ वाणी को व्यक्त करना है। इसके द्वारा मनुष्य के भावोविचारो और भावनाओ को व्यक्त किया जाता है। वैसे भी भाषा की परिभाषा देना एक कठिन कार्य है। फिर भी भाषा वैज्ञानिकों ने इसकी अनेक परिभाषा दी है। किन्तु ये परिभाषा पूर्ण नही है। हर में कुछ  कुछ त्रुटि पायी जाती है।

आचार्य देवनार्थ शर्मा ने भाषा की परिभाषा इस प्रकार बनायी है। उच्चरित ध्वनि संकेतो की सहायता से भाव या विचार की पूर्ण अथवा जिसकी सहायता से मनुष्य परस्पर विचार-विनिमय या सहयोग करते है उस यादृच्छिकरूढ़ ध्वनि संकेत की प्रणाली को भाषा कहते है।

यहाँ तीन बातें विचारणीय है- (1) भाषा ध्वनि संकेत है; (2) वह यादृच्छिक है; (3) वह रूढ़ है।

(1) सार्थक शब्दों के समूह या संकेत को भाषा कहते है। यह संकेत स्पष्ट होना चाहिए। मनुष्य के जटिल मनोभावों को भाषा व्यक्त करती हैकिन्तु केवल संकेत भाषा नहीं है। रेलगाड़ी का गार्ड हरी झण्डी दिखाकर यह भाव व्यक्त करता है कि गाड़ी अब खुलनेवाली हैकिन्तु भाषा में इस प्रकार के संकेत का महत्त्व नहीं है। सभी संकेतों को सभी लोग ठीक-ठीक समझ भी नहीं पाते और  इनसे विचार ही सही-सही व्यक्त हो पाते हैं। सारांश यह कि भाषा को सार्थक और स्पष्ट होना चाहिए।

(2) भाषा यादृच्छिक संकेत है। यहाँ शब्द और अर्थ में कोई तर्क-संगत सम्बन्ध नहीं रहता। बिल्लीकौआघोड़ाआदि को क्यों पुकारा जाता हैयह बताना कठिन है। इनकी ध्वनियों को समाज ने स्वीकार कर लिया है। इसके पीछे कोई तर्क नहीं है।

(3) भाषा के ध्वनि-संकेत रूढ़ होते हैं। परम्परा या युगों से इनके प्रयोग होते आये हैं। औरतबालकवृक्ष आदि शब्दों का प्रयोग लोग अनन्तकाल से करते  रहे है। बच्चेजवानबूढ़ेसभी इनका प्रयोग करते है। क्यों करते हैइसका कोई कारण नहीं है। ये प्रयोग तर्कहीन हैं।

प्रत्येक देश की अपनी एक भाषा होती है। हमारी राष्टभाषा हिंदी है। संसार में अनेक भाषाए है जैसेहिंदीसंस्कृतअंग्रेजीबँगलागुजरातीउर्दूतेलगुकन्नड़चीनीजमर्न आदिै।

हिंदी के कुछ भाषावैज्ञानिकों ने भाषा के निम्नलिखित लक्षण दिए है।

डॉ श्यामसुन्दरदास के अनुसार - मनुष्य और मनुष्य बीच वस्तुओं के विषय अपनी इच्छा और मति का आदान प्रदान करने के लिए व्यक्त ध्वनि -संकेतो का जो ब्यवहार होता हैउसे भाषा कहते है।

डॉ बाबुराम सक्सेना के अनुसारजिन ध्वनि-चिंहों द्वारा मनुष्य परस्पर विचार-बिनिमय करता है उसको समष्टि रूप से भाषा कहते है।

उपर्युक्त परिभाषाओं से निम्नलिखित निष्कर्ष निकलते है-

(1) भाषा में ध्वनि-संकेतों का परम्परागत और रूढ़ प्रयोग होता है। 

(2) भाषा के सार्थक ध्वनि-संकेतों से मन की बातों या विचारों का विनिमय होता है। 

(3) भाषा के ध्वनि-संकेत किसी समाज या वर्ग के आन्तरिक और ब्राह्य कार्यों के संचालन या विचार-विनिमय में सहायक होते हैं। 

(4) हर वर्ग या समाज के ध्वनि-संकेत अपने होते हैंदूसरों से भित्र होते हैं।

भाषा के प्रकार

भाषा के तीन रूप होते है-

1. मौखिक भाषा 

2. लिखित भाषा 

3. सांकेतिक भाषा।

 

1. मौखिक भाषा :- जिस ध्वनि का उच्चारण करके या बोलकर हम अपनी बात दुसरो को समझाते हैउसे मौखिक भाषा कहते है।

जैसहिंदीअंग्रेजीसंस्कृतपंजाबीबंगला आदि।

2. लिखित भाषा :- जिन अक्षरों या चिन्हों की सहायता से हम अपने मन के विचारो को लिखकर प्रकट करते हैउसे लिखित भाषा कहते है।

जैसे -देवनागरी लिपिगुजराती लिपिगुरुमुखी लिपि आदि।

3. सांकेतिक भाषा :- जिन संकेतो के द्वारा बच्चे या गूँगे अपनी बात दूसरों को समझाते हैवे सब सांकेतिक भाषा कहलाती है।

भाषा की प्रकृति

भाषा सागर की तरह सदा चलती-बहती रहती है। भाषा के अपने गुण या स्वभाव को भाषा की प्रकृति कहते हैं। हर भाषा की अपनी प्रकृतिआंतरिक गुण-अवगुण होते है। भाषा एक सामाजिक शक्ति हैजो मनुष्य को प्राप्त होती है। मनुष्य उसे अपने पूवर्जो से सीखता है और उसका विकास करता है।

यह परम्परागत और अर्जित दोनों है। जीवन्त भाषा 'बहता नीरकी तरह सदा प्रवाहित होती रहती है। भाषा के दो रूप हैकथित और लिखित। हम इसका प्रयोग कथन के द्वाराअर्थात बोलकर और लेखन के द्वारा (लिखकरकरते हैं। देश और काल के अनुसार भाषा अनेक रूपों में बंटी है। यही कारण है कि संसार में अनेक भाषाएँ प्रचलित हैं। भाषा वाक्यों से बनती हैवाक्य शब्दों से और शब्द मूल ध्वनियों से बनते हैं। इस तरह वाक्यशब्द और मूल ध्वनियाँ ही भाषा के अंग हैं। व्याकरण में इन्हीं के अंग-प्रत्यंगों का अध्ययन-विवेचन होता है। अतएवव्याकरण भाषा पर आश्रित है।

भाषा के विविध रूप

हर देश में भाषा के तीन रूप मिलते है-

(1)बोलियाँ (2)परिनिष्ठित भाषा (3)राष्ट्र्भाषा

बोलियाँ :- जिन स्थानीय बोलियों का परयोग साधारण अपने समूह या घरों में करती हैउसे बोली (dialect) कहते है।

किसी भी देश में बोलियों की संख्या अनेक होती है। ये घास-पात की तरह अपने-आप जन्म लेती है और किसी क्षेत्र-विशेष में बोली जाती है। जैसेभोजपुरीमगहीअवधीमराठी तेलगुइंग्लिश आदि।

परिनिष्ठित भाषा :- यह व्याकरण से नियन्त्रित होती हैं इसका प्रयोग शिक्षाशासन और साहित्य में होता है। बोली को जब व्याकरण से परिष्कृत किया जाता हैतब वह परिनिष्ठित भाषा बन जाती है। खड़ीबोली कभी बोली थीआज परिनिष्ठित भाषा बन गयी हैजिसका उपयोग भारत में सभी स्थानों पर होता है। जब भाषा व्यापक शक्ति ग्रहण कर लेती हैतब आगे चलकर राजनीतिक और सामाजिक शक्ति के आधार पर राजभाषा या राष्टभाषा का स्थान पा लेती है। ऐसी भाषा सभी सीमाओं को लाँघकर अधिक व्यापक और विस्तृत क्षेत्र में विचार-विनिमय का साधन बनकर सारे देश की भावात्मक एकता में सहायक होती है। भारत में पन्द्रह विकसित भाषाएँ हैपर हमारे देश के राष्ट्रीय नेताओं ने हिन्दी भाषा को 'राष्ट्रभाषा' (राजभाषाका गौरव प्रदान किया है। इस प्रकारहर देश की अपनी राष्ट्रभाषा हैरूस की रूसीफ्रांस की फ्रांसीसीजर्मनी की जर्मनजापान की जापानी आदि।

राष्ट्र्भाषा :- जब कोई भाषा किसी राष्ट्र के अधिकांश प्रदेशों के बहुमत द्वारा बोली  समझी जाती है तो वह राष्टभाषा बन जाती है।

जैसेहिंदी भारत की राष्टभाषा है।

मातृभाषाजो भाषा बच्चा अपने परिवार या माता से सीखता हैउसे मातृभाषा कहते हैं। 

जैसेकोई परिवार मूल रूप से हिन्दी भाषा बोलता है तो उस परिवार में जन्म लेने वाला बच्चा भी हिन्दी भाषा ही सीखेगा। अतः हिन्दी उस बालक की मातृभाषा होगी।

प्रादेशिक भाषा- जब कोई भाषा एक प्रदेश में बोली जाती है तो उसे 'प्रादेशिक भाषाकहते हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय भाषा- जब कोई भाषा विश्व के दो या दो से अधिक राष्ट्रों द्वारा बोली जाती है तो वह अन्तर्राष्ट्रीय भाषा बन जाती है। जैसेअंग्रेजी अन्तर्राष्ट्रीय भाषा है।





हिन्दी व्याकरण 

•   भाषा   •   लिपि   •   व्याकरण   •   वर्ण,वर्णमाला   •   शब्द   •   वाक्य   •   संज्ञा   •   सर्वनाम   •   क्रिया   •   काल   •   विशेषण   •   अव्यय   •   लिंग   •   उपसर्ग   •   प्रत्यय   •   तत्सम तद्भव शब्द   •    संधि 1   •  संधि 2   •   कारक   •   मुहावरे 1   •   मुहावरे 2   •   लोकोक्ति   •   समास 1   •   समास 2   •   वचन   •   अलंकार   •   विलोम   •   अनेकार्थी शब्द   •  अनेक शब्दों के लिए एक शब्द 1   •   अनेक शब्दों के लिए एक शब्द 2   •   पत्रलेखन   •   विराम चिह्न   •   युग्म शब्द   •   अनुच्छेद लेखन   •   कहानी लेखन   •   संवाद लेखन   •   तार लेखन   •   प्रतिवेदन लेखन   •   पल्लवन   •   संक्षेपण   •   छन्द   •   रस   •   शब्दार्थ   •   धातु   •   पदबंध   •   उपवाक्य   •   शब्दों की अशुद्धियाँ   •   समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द   •   वाच्य   •   सारांश   •   भावार्थ   •   व्याख्या   •   टिप्पण   •   कार्यालयीय आलेखन   •   पर्यायवाची शब्द   •   श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द   •   वाक्य शुद्धि   •   पाठ बोधन   •   शब्द शक्ति   •   हिन्दी संख्याएँ   •   पारिभाषिक शब्दावली   •



1 comments: