योग विषय में व्याप्त भ्रान्तियां और उनका समाधान
प्रश्न - मैं तो स्वस्थ्य हूँ, मुझे योग की क्या आवश्यकता ?
उत्तर - योग कोई इलाज नही कि इसे बीमार व्यक्ति ही अपनाये। योग तो खुशमयी जीवन जीने की कला है।और ईश्वर कृपा से यदि आज हम स्वस्थ है तो भविष्य में भी स्वस्थ्य बने रहने हेतु योग अपनाना आवश्यक है, क्योंकि उम्र के साथ बीमारियाँ अक्सर आती ही है।
प्रश्न - युवाओं की भ्रान्ति कि योग बहुत धीमी गति से होता है इसलिए बोरियत भरा है?
उत्तर - वर्तमान युग की समस्या ही तो गति है। हर मनुष्य भागा जा रहा है भौतिकतावाद की और, विलासिता की और, चकाचौंन्ध की और। और बदले में पा रहा है अनेको बीमारियाँ।
योग तो आनन्द की और ले जाने वाली राह है। सही तरीके से सिखाये गए योग से कभी बोरियत नही हो सकती है।
प्रश्न - बुजुर्गों की भ्रान्ति की हम तो वृद्ध हो गए है इसलिए नही कर सकते है ?
उत्तर - योग की यही तो विशेषता है कि योग बच्चे,बूढ़े, स्त्री, पुरुष, युवा, स्वस्थ्य, बीमार हर व्यक्ति कर सकता है। योग टीचर का कार्य है कि व्यक्तिगत आवश्यकतानुसार कराएं।
प्रश्न - सबसे बड़ा प्रश्न की क्या योग से वजन कम होगा ?
उत्तर - योग से निश्चिन्त तौर पर एवं स्थायी तौर पर वजन कम होता है। अधिक वजन एवं मोटापे के कारणों को जानकर विशेष रूप से कराये गए आसनों, प्राणायाम से स्थायी तौर पर वजन कम होकर मोटापा दूर होकर शक्ति, स्फूर्ति में असीम वृद्धि होती है। योग मनुष्य के शारीरिक फिगर को बैलेंस में लाता है, इससे मोटा व्यक्ति दुबला और दुबला व्यक्ति मोटा होता है।
प्रश्न - मैं तो पहले से स्लिम हूँ, मुझे योग की क्या आवश्यकता ?
उत्तर - स्लिम होना भर स्वस्थ्य होने की ग्यारंटी नही है। और न ही योग सिर्फ कोई दुबले या स्लिम होने की दवा है। योग तो स्वस्थ और खुशहाल रहने की जीवनशैली है। और स्लिम व्यक्तियों में भी अनेको बीमारियाँ हो सकती है।
प्रश्न - दिनभर में मैं इतना कार्य कर लेता/ लेती हूं है कि मुझे योग की कोई आवश्यकता ही नही ?
उत्तर - हमारे रूटीन वर्क का प्रभाव हमारे शरीर के सभी बाह्य और आंतरिक अंगों पर आ ही नही सकता। योग में चार अवस्थाओं में किये जाने वाले विभिन्न आसनो का शरीर के सारे बाह्य और आंतरिक अंगों पर बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ता है उनकी मसाज होती है, रक्त संचार प्रॉपर होता है जो मनुष्य के अच्छे स्वास्थ्य के लिए अतिआवश्यक है।
प्रश्न - आज मुझे बहुत थकान हो रही है अतः आज मुझे योगाभ्यास नही करना है ?
उत्तर - थकान होने पर या ज्यादा हार्डवर्क करने पर आई हुई थकान तो योगासन, प्राणायाम और ध्यान से पूरी तरह दूर हो जाती है। सारे अंगों, जोड़ों, मसल्स, लिगामेंट्स नस नाड़ियों पर आसनो से आयी हुई स्ट्रेचिंग, तनाव, दबाव से रिलैक्स होकर व्यक्ति तरोताज़ा हो जाता है। अतः थकान के दौरान अवश्य योग साधना करना चाहिए।
प्रश्न - बीमारी के दौरान योग नही करना है ?
उत्तर - केवल जीर्ण यानि क्रोनिक रोगों को छोड़कर बीमारी के दौरान योग प्रैक्टिस करने से बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। एक कुशल योग टीचर बीमारी के अनुसार ही योग प्रैक्टिस करायेगा।
प्रश्न - एलोपैथी इलाज ही स्वस्थ्य होने की ग्यारंटी है?
उत्तर - एडवांस स्टेज का कैंसर, क्रोनिक रोग, बाहरी रोग का आक्रमण, लिवर का पूरी तरह खराब हो जाना आदि कुछेक बीमारियों को छोड़कर समस्त बीमारियों को स्थायी तौर पर योग के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।
डाईबिटिज, हाईपेरटेंशन जैसी बीमारियों को नियमित योग एवं जीवनशैली से जड़ से समाप्त किया जा सकता है।
प्रश्न - गर्भधारण हो जाने पर योग बन्द कर देना चाहिए ?
उत्तर - गर्भावस्था के दौरान तो योग अत्यंत सहायक* होता है। कुशल योग एक्सपर्ट के मार्गदर्शन में विशेष आसनों, प्राणायाम और ध्यान में द्वारा पुरे गर्भावस्था के दौरान महिला पूरी तरह शारीरिक और मानसिक स्तर पर स्वयं तो स्वस्थ्य रह ही सकती है साथ ही आने वाली सन्तान भी स्वस्थ होगी और नॉर्मल डिलेवरी के भी पुरे चान्सेस हो जाते है।
प्रश्न - योग नही अपनाने का दुनिया भर का सबसे बड़ा कारण, मेरे पास समय ही नही है?
उत्तर - *"पहला सुख, निरोगी काया"* जीवन के सारे सुख स्वस्थ्य रहने पर ही भोगे जा सकते है। यदि प्रतिदिन एक घण्टे योगाभ्यास कर लिया जाये तो बचे 23 घण्टों में 36 घण्टों की ऊर्जा पायी जा सकती है। कितनी भी व्यस्तता हो, दुनिया मे कही भी हो योग अवश्य करें। एक घण्टा न तो कुछ देर ही करें।
प्रश्न - हम तो बाहर जा रहे है/ शादी में जा रहे है/ त्यौहार मना रहे है/ बच्चों की एग्जाम है/ घर में कुछ कार्य है?
उत्तर - हमारी किसी भी तरह की व्यस्तता का सबसे पहला दुष्प्रभाव हमारे योग पर पड़ता है। हम सारे कार्य तो करेंगे पर योग सबसे पहले छोड़ेंगे।आप दुनिया में कही भी हो, कुछ भी कार्य हो कुछ समय "योग" के लिए अवश्य निकाले। आप शक्ति, स्फूर्ति और दुगुनी ऊर्जा से कार्य कर पाएंगे।
प्रश्न - योग हिन्दू धर्म का है इसलिए हमारे लिये नही है?
उत्तर - हिन्दू धर्म कभी नही कहता की योग का अनुसरण सिर्फ हिंदू ही करेंगे। योग तो सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन है। क्या सूर्य अपनी किरणे किसी धर्म विशेष के लोगों को ही प्रदान करता है? नही
इसी तरह योग प्रैक्टिस करने वाले को इसके पूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिलेंगे।
प्रश्न - अभी तो मैं युवा हूँ मुझे योग की क्या आवश्यकता ?
उत्तर - वर्तमान युग में भौतिकतावाद के पीछे भागने वालों में बड़ी संख्या युवाओं की ही है। दुष्परिणामस्वरूप युवा तनावग्रस्त होकर कम उम्र में ही अनेकोनेक शारीरिक और मानसिक बिमारियों से ग्रस्त हो रहे है जिसका सबसे उत्तम *निदान योग* में ही है।
प्रश्न - योग ही क्यों ?
उत्तर - स्वस्थ्य रहने हेतु अनेकों विधाएं है जैसे वाकिंग, जॉगिंग, रनिंग, साइकिलिंग, स्विमिंग, जिम्नेश्यिम, जुम्बा, एरोबिक्स आदि। इन सबमे योग का सर्वोच्च स्थान इसलिए है क्योंकि सिर्फ योग ही ऐसी विधा है जो शरीर, मन और आत्मा को एक ही ईकाई मानता है और शरीर से ज्यादा मन पर सकारात्मक प्रभाव देता है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार भी मनुष्य को होने वाली 90% बीमारियाँ मनोकायिक है और योग ही एक ऐसी विधा है जो मन के विकारों को दूर करके उसे तनावमुक्त रख स्वस्थ्य बनाता है।
प्रश्न - शरीर के कुछ विभिन्न पोज़ बना लेना या शरीर को अलग अलग तरीके से तोड़ मरोड़कर आसन कर लेना ही योग है।
उत्तर - जी नही, योग सिर्फ आसन ही नही वरन सम्पूर्ण लाइफ स्टाइल है। आसन तो योग का एक अंग है। योग सिर्फ एक घण्टे करने की विषय वस्तु न होकर हर पल योगी बने रह सकने की कला है। अपने मन, चित्त, विचारों, श्वसन आदि को नियंत्रण में रख सदा वर्तमान में जीना सिखाता है, योग।
योग को अपनाए।
जीवन को आनंदमय बनाए।।
धन्यवाद!!